Chhath Mahaparva 2025 : उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देने के साथ छठ महापर्व हुआ पूरा
नागेश्वरनाथ सरोवर और अनय घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का हुजूम, व्रती महिलाओं ने गाए मंगलगीत, जलाए दीप, बड़ों का लिया आशीर्वाद
बाराबंकी, अमृत विचार : रात के तीन बजे शहर से लेकर गांव के तमाम घाटों पर रऊवा से एहे हथजोरिया नु हो, आदित करि जनि देरिया... की तान नदियों और सरोवरों की लहरों के साथ-साथ श्रद्धालुओं की प्रार्थना को आदिदेव तक पहुंचा रही थी। घाटों का किनारा श्रद्धालुओं की गुहार से रात्रि के अंधकार में श्रद्धा के प्रकाश की लौ जगा रहा था।
सूर्योदय का समय हुआ तो कुंडों और सरोवरों पर हलचल बढ़ने लगी। महिलाएं पूजा करने के बाद अपने-अपने सूप लेकर पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य का इंतजार करने लगीं। जैसे ही 6.20 बजे लालिमा के साथ भगवान भास्कर पूरब में नजर आए तो छठी मईया का जयघोषज गुंजायमान हो उठा। घाटों, कुंड और सरोवरों का नजारा पूरी तरह बदल चुका था। कहीं छठी मईया का विदाई गीत हमनी के छोड़ के नगरिया ना नू हो, कहवां जइबू ए माई, कईसे करी हम में विदाई... विछोह का भाव जगा रही थी तो वहीं भगवान सूर्य की प्रतीक्षा में कातर नजरें पूरब की ओर ओर निहार रही थीं।
पूजा की थाल में जल रहे दीप, धूप की खुशबू से महकता वातावरण, पूरब दिशा की ओर मुंह कर घुटने तक पानी में खड़ीं व्रती महिलाएं, उनके सहयोग के लिए खड़े परिजन, सूर्यदेव से उदित होने के गूंजते मंगलगीत, ऐसा नजारा नागेश्वरनाथ तालाब पर ही नहीं, अन्य घाटों पर भी दिखाई दिया। चार बजने के बाद तो घाटों की ओर जाने वाली गलियों में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। छठ पूजा के अंतिम दिन मंगलगीतों के बीच उदय होते सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए शुक्रवार को सुबह से ही घाटों व तालाबों पर व्रती महिलाओं का हुजूम उमड़ पड़ा था। व्रती महिलाओं ने आरती कर दीप जलाए और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजन कर 36 घंटे से जारी निर्जला डाला छठ महापर्व व्रत का पारण किया। नागेश्वरनाथ तालाब पर अनुपम छटा बिखरी रही।
भोर से ही नागेश्वरनाथ परिसर स्थित तालाब पर कइली बरतिया तोहार हे छठी मइया..., दर्शन दीहीं हे अदिता देव..., उगी हो सूरजदेव, भोर भिनसरवां अरघ केर-बेरवा, पूजन केर बेरवा हो... गीत गूंजते रहे। व्रती महिलाओं ने गीतों के जरिए सूर्यदेव से जल्द उदय होने की गुहार लगाई। इसी तरह रेठ नदी के चिलहटा व आलापुर घाट, बंकी, ओबरी, पुलिस लाइन, आलापुर, ढकौली, रामनगर, मसौली, हैदरगढ़ और टिकैतनगर समेत अन्य घाटों पर भी अर्घ्य के समय उत्सव सरीखी छटा रही। पूजन करने के बाद घर पहुंचीं व्रती महिलाओं ने अपने बड़े व बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
कहीं टब तो कहीं अस्थाई कुंड में पूजन
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रतियों ने छत पर बाथिंग टब तो कहीं कॉलोनियों में बने अस्थायी कुंड के पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया। आवास विकास कॉलोनी निवासी श्रृद्धा ने बताया कि चार बजे से पूजा पाठ शुरू हो गया था। घर के बाहर बने कुंड के पानी में खड़ी होकर सूर्योदय का इंतजार कर रही थी। सूर्योदय होते ही अर्घ्य दिया और व्रत पूरा किया। उधर जिले की अलग अलग जगहों पर भी महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया।
बांटा प्रसाद, ली सेल्फी
अर्घ्य देने के बाद सभी अपनी-अपनी सुशोभिता (वेदी) तक लौटे। ठेकुआ, फल, मिठाई आदि का प्रसाद बांटा। इसके बाद धीरे-धीरे दउरा समेट कर छठी मइया को शीश नवाकर गलती की क्षमा याचना की। पूजा के बाद घर लौटते समय महिलाएं भांगड़ा ढोल पर खूब थिरकीं। नवविवाहिताओं में अधिक उत्साह रहा। पूजा के बाद सेल्फी भी ली।
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