मुआवजे के मरहम से भरे जा रहे जख्म, मौतों की रफ्तार बेलगाम

राज्य गठन के बाद से पिछले साल तक 20 हजार से अधिक लोग गंवा चुके हैं जान, लगभग तीन लोगों की हर रोज होती है मौत 

मुआवजे के मरहम से भरे जा रहे जख्म, मौतों की रफ्तार बेलगाम

सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। मृत्यु निश्चित है, लेकिन अकाल मृत्यु की हमेशा एक वजह होती है। उत्तराखंड में सड़क हादसे नई बात नहीं, लेकिन बार-बार होने वाले हादसों का जिम्मेदार कौन है। ये वही लोग हैं जो हर बार मृतक परिवार के जख्मी दिल पर मुआवजे का मरहम लगाते हैं और घटना का दोष किसी और मढ़कर चुपचाप निकल जाते हैं।

ये आलम तब है जब प्रदेश में सड़क हादसों में मौतों की संख्या साल-दर-साल बढ़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग हर रोज 3 लोग सड़क हादसों में जान गवां देते हैं। इसका गुणा-गणित ऐसे लगा सकते हैं कि राज्य गठन के बाद से पिछले साल 2023 तक 20 हजार ज्यादा लोग राज्य में हुए सड़क हादसों में जान गवां चुके हैं। ताजा मामले ने लोगों को धूमाकोट सड़क हादसे की याद दिला दी। इस घटना में 48 लोगों की जान गई थी। 

साल दर साल बढ़ रही सड़क हादसों की संख्या 
चिंता की बात यह है कि पुलिस और परिवहन विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद साल दर साल सड़क हादसों की संख्या कम नहीं हो पा रही है। हालांकि समय-समय पर तमाम जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। इतना ही नहीं मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समय-समय पर सड़क सुरक्षा की बैठकें भी की जाती हैं, लेकिन नतीजा शून्य और मौतों का ग्राफ ऊपर जाता ही नजर आता है। 

हाल-फिलहाल में हुईं बड़ी दुर्घटनाएं
- अक्टूबर में टिहरी गढ़वाल के देवप्रयाग थाना क्षेत्र में आर्मी का एक ट्रक पलटा
- सितंबर में टिहरी जिले में तेज रफ्तार मैक्स वाहन खाई में गिरा, तीन लोगों की मौत हुई
- अक्टूबर में दिल्ली से जागेश्वर जा रहा टेम्पो ट्रैवलर अल्मोड़ा में हादसे का शिकार हुआ, जिसमें 17 लोग घायल हुए
- अक्टूबर में चमोली जिले में एक कार हादसे का शिकार हुई थी। कार चालक की मौत हुई 
- 30 अक्टूबर को रुद्रप्रयाग के रैंतोली में बदरीनाथ हाईवे से टेंपो ट्रैवरल अलकनंदा नदी में गिरा और 10 यात्रियों की मौत हुई

लंबे समय तक पूरी नहीं हो पाती मजिस्ट्रियल जांच
सड़क दुर्घटना होने के बाद फौरन बड़े हादसों को लेकर मजिस्ट्रेट जांच भी बैठाई जाती है, लेकिन अधिकतर जांच लंबे समय तक पूरी ही नहीं हो पाती। मजिस्ट्रियल जांच में हादसे के पीछे की वजह सामने आने के बाद इन कारणों पर काम करते हुए दुर्घटनाओं पर रोकथाम की कोशिश की जानी चाहिए, लेकिन हादसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसा कुछ होता नहीं दिखता। सड़क दुर्घटना के लिए खराब सड़कें, ओवरलोड, गाड़ियों की खराब स्थिति, ओवर स्पीड, शराब पीकर गाड़ी चलाना और सबसे बड़ा कारण पुलिस व प्रशासनिक लापरवाही है। 

वर्ष       मौतें
2001- 698
2002- 705
2003- 756
2004- 931
2005- 869
2006- 975
2007- 991
2008- 1073
2009- 852
2010- 931
2011- 937
2012- 853
2013- 765
2014- 878
2015- 913
2016- 962
2017- 942
2018- 1047
2019- 867
2020- 674
2021- 820
2022- 1042
2023- 1054


याद आया धुमाकोट, उत्तराखंड सबसे बड़ा सड़क हादसा
अल्मोड़ा में 36 लोगों की मौत की पुष्टि होते ही लोगों के जेहन में एक बार फिर धुमाकोट सड़क हादसे की तस्वीरें ताजा हो गईं। ये घटना 1 जुलाई 2018 को पौड़ी जिले के धुमाकोट तहसील क्षेत्र में भौन पीपली मोटर मार्ग पर 61 सवारियों से खचाखच भरी 30 सीटर बस के गहरी खाई में गिर गई थी। बस में सवार 48 लोगों की मौत हो गई। हादसे में 13 लोग घायल हुए थे। तीन घायलों को एयरलिफ्ट कर जौलीग्रांट भर्ती किया गया था। मरने वालों में 16 महिलाएं, 22 पुरुष और 10 छोटे बच्चे शामिल थे। शव इतने थे कि प्रशासन को घटनास्थल पर ही पोस्टमार्टम कराना पड़ा था। अल्मोड़ा की तरह यह बस भी गढ़वाल मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड की ही थी।

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