हाईकोर्ट: कैदियों के बच्चों को जेल से बाहर स्कूलों में दाखिला दिलाने की तैयार हो रही योजना
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल में बंद कैदियों के बच्चों को स्कूली शिक्षा जेल से बाहर नियमित स्कूलों में कराने के लिए राज्य सरकार को विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने माना कि जेलों में रहने वाले कैदियों के बच्चों की शिक्षा और समग्र विकास को जेल के सीमित वातावरण में प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। विधायिका और कानून सभी बच्चों के अधिकारों के प्रति सजग हैं।
विशेषकर उन बच्चों के अधिकारों के प्रति, जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की जरूरत है। किशोर न्याय अधिनियम और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के साथ-साथ संवैधानिक न्यायालय के निर्णयों द्वारा बच्चों को दिए गए मौलिक अधिकारों के रूप में शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए, चाहे वह किसी भी माहौल में क्यों ना हों।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकल पीठ ने रेखा नामक महिला द्वारा दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि याची का 5 साल का बच्चा जेल में उसके साथ ही रहता है। जब कोर्ट ने बच्चे की शिक्षा के बारे में जानकारी प्राप्त की तो पता चला कि बच्चा जेल परिसर में स्थित क्रेच स्कूल में पढ़ रहा है जो केवल कैदियों के बच्चों के लिए ही बनाया गया है।
हालांकि महानिदेशक (कारागार) और प्रमुख सचिव (महिला एवं बाल विकास) ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया था कि राज्य में अनेक ऐसे बच्चे हैं जो अपने कैदी माता-पिता के साथ जेल में ही रहते हैं, जिनकी देखभाल और कल्याण के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। कोर्ट को बताया गया कि सरकार ऐसे बच्चों को नियमित स्कूलों में दाखिला दिलाने तथा विभिन्न सी.सी.आई में अन्य सहायता प्रणालियों प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार कर रही है। इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश, प्रमुख सचिव (कारागार), उत्तर प्रदेश और महानिदेशक (कारागार), उत्तर प्रदेश, लखनऊ को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में अंतिम नीति तैयार कर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें। मामले की अगली सुनवाई आगामी 20 नवंबर को सुनिश्चित की गई है।
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