Editorial :दीपावली की सच्ची खुशी

Editorial :दीपावली की सच्ची खुशी

अमृत विचार, नई दिल्ली : त्योहार हमें उमंग एवं उल्लास से भरकर अपनी संस्कृति से जोड़े रखते हैं। त्योहारों को मनाने से सांस्कृतिक सद्भाव का वातावरण बनता है। दीपावली का पर्व सबके लिए है। जीवनशैली में आए बदलाव की वजह से पूजन, अर्चन, प्रार्थना और पारिवारिक समारोहों के इस पर्व का रोशनी की जगमगाहट और आतिशबाजी प्रमुख हिस्सा बन गया है। दीपावली धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक पर्व भी है, जो हमें एक-दूसरे के प्रति अपनत्व, प्रेम और स्नेह का संदेश देता है।

आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में लोग अपनी परंपरा को भूलते जा रहे हैं। विडंबना ही है कि समय के साथ-साथ हमारे उजास पर्व को तमाम तरह की कृत्रिमताओं ने घेरा है। सच्चाई यह है कि त्योहार मनाने के तरीके समय के साथ बदलते रहे हैं। अब हमारे त्योहारों को मनाने के परंपरागत तरीकों की जगह दिखावा हावी हो गया है। इस बदलाव की वजह से त्योहारों का वास्तविक स्वरूप लोग भूलने लगे हैं। हमें ध्यान रखना होगा कि यदि हम संपन्नता का फूहड़ प्रदर्शन करके त्योहार मनाएंगे तो यह पर्व के मर्म से छल ही होगा। कुल मिलाकर त्योहार को बाजार के भरोसे छोड़ दिया गया है। वैसे तो दिवाली मिठाई खाने और नए कपड़े खरीदने का मौका है, लेकिन यह दो सबसे जरूरी चीजों से जुड़ा है - दीया और आतिशबाजी।

निश्चित रूप से पटाखे फोड़ने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती और हर कोई आतिशबाजी पसंद करता है, लेकिन भले ही आप पटाखे फोड़कर परंपरा को बनाए रखें, लेकिन उन्हें चलाते समय अतिरिक्त सावधानी बरतना भी जरूरी है। पटाखे का प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है। प्रदूषण की स्थिति देश में भयावह है। पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण पर सख्ती दिखाते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को फटकार लगाई।  अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार के तहत शुद्ध हवा हरेक नागरिक का मूल अधिकार है। विशेषज्ञों के अनुसार ठोस कचरे से फैलने वाले प्रदूषण और जल प्रदूषण के मुकाबले वायु प्रदूषण अधिक हानिकारक है।

दीपावली के आसपास वायु एवं ध्वनि प्रदूषण का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है। हर साल दीपावली के बाद के दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक तेजी से बढ़ता है। दीपावली की सच्ची खुशी केवल अपने घर को रोशन करने में ही नहीं है, बल्कि दूसरों के जीवन में भी रोशनी फैलाने में भी है। साथ ही हमें पर्यावरणीय चिंताओं का भी ध्यान रखते हुए, सुरक्षित ढंग से दीपावली मनाने का संकल्प लेना होगा।

यह भी पढ़ें - Today's History, 31 October 2024 : आज के दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरागांधी की हुई थी हत्या