Lucknow News : पुलिस हिरासत में छह मौत, रिपोर्ट दर्ज पर कार्रवाई शून्य

छह साल में लखनऊ में पुलिस हिरासत में पांच में सिर्फ तीन में दर्ज हुई रिपोर्ट

Lucknow News : पुलिस हिरासत में छह मौत, रिपोर्ट दर्ज पर कार्रवाई शून्य

- दो में पुलिस अधिकारी परिवार पर दबाव बना कर दिया मामला रफा-दफा

लखनऊ,  अमृत विचार : राजधानी में पिछले छह साल के अंदर पुलिस हिरासत में मौत के पांच मामलों में छह मौत हो चुकी है। चिनहट में मोहित की मौत सातवीं हैं। शुरू के पांच मामलों में सिर्फ तीन में ही रिपोर्ट दर्ज की गई है। पर, कार्रवाई की बात की जाए तो अभी तक किसी भी पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी हुई न सजा मिली। वहीं दो में परिजन पर दबाव बनाकर पुलिस अधिकारी मामले को रफा-दफा कर दिया। इस महीने 16 दिन के अंदर दो युवकों की पुलिस हिरासत में मौत के मामले सामने आए। जबिक इसके पहले 2017, 2018, 2019 और 2020 में इस तरह की घटना हुई है।

हिरासत में मौत के मामलों में सजा न होने का कारण

विधि विशेषज्ञ और अधिवक्ता पीयूष त्रिवेदी के मुताबिक ज्यादातर मामले में पीड़ित परिवार रिपोर्ट दर्ज करा देता , लेकिन उसकी पैरवी सही से नहीं करता है। वहीं, जो साक्ष्य कोर्ट में दिए जाने होते है वह काफी कमजोर होते हैं। इसी कारण पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता। कुछ मामले में पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने के बाद अधिकारियों और पीड़ित के रिश्तेदारों व करीबियों की मदद से सुलह करा लेती है। इसके आधार पर पुलिसकर्मी विभागीय जांच में भी बच जाते हैं।

अब तक हुई यह घटनाएं

पहली घटना :- 20 अप्रैल 2017 को निगोहां पुलिस 107/116 मेंआरोपी रामसजीवन को गिरफ्तार किया। थाने में तैनात आरक्षी लवदीप और होमगार्ड ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल जा रहे थे। रास्ते में हुए हादसे में रामसजीव की मौत हो गई। हादसे में आरक्षी और होमगार्ड को खरोंच भी नहीं आयी थी। परिजन ने हत्या का आरोप लगाया। आरक्षी निलंबित किया गया। लेकिन इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

दूसरी घटना :- 22 अप्रैल को आशियाना इलाके की किन्नर चंचल की गोली मारकर हत्या की गई थी। इस मामले में डूडा कॉलोनी निवासी चंचल के पड़ोसी भाइयों जियाउल कुरैशी उर्फ कमरू और जियाउल हसन उर्फ भूरा को 24 अप्रैल पुलिस ने हिरासत में लिया। दोनों जमकर पिटाई की गई। कमरू की हालत बिगड़ गई 4 मई 2018 को उसकी मौत हो गई। परिजन शव रखकर हंगामा किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

तीसरी घटना :- 3 जुलाई 2020 सीतापुर महोली के मुरनिया गांव निवासी उमेश को चोरी के आरोप में गोमतीनगर विस्तार पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उस पर पूर्व डीआईजी उदयशंकर जायसवाल के घर में चोरी का आरोप था। गिरफ्तारी के बाद उसने हवालात में ही फंदा लगाकर जान दे दी। इस मामले में पुलिस कमिश्नर ने कार्यवाहक इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव और चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। वहीं थाने में रिपोर्ट दर्ज कर ली। इस मामले को भी बाद में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

चौथी घटना :- 21 सितंबर 2020 को कृष्णानगर के प्रेम नगर निवासी विकास सोनी और स्नेह नगर निवासी पारूल की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इस मामले में 14 अगस्त को पारूल की मां ने कृष्णानगर थाने में बेटी को भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस टीम बरेली से दोनों को बरामद कर लखनऊ लेकर आ रही थी। पुलिस हिरासत में ही दोनों ने जहरीला पदार्थ खा लिया और अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई। इस मामले में एसआई और सिपाही पर रिपोर्ट दर्ज किया गया। दोनों कुछ दिन बाद विभागीय जांच में निर्दोष साबित हो गये।

पांचवीं घटना :- 13 अक्टूबर 2024 विकासनगर में जुए की सूचना पर डायल 112 की पीआरवी मौके पर पहुंची थी। पुलिस ने दो युवकों को हिरासत में लिया। थाने पहुंचने के बाद अमन गौतम की हालत बिगड़ गई। उसे अस्पताल पहुंचाया गया जहां मौत हो गई। इस मामले में हंगामे और प्रदर्शन के बाद पीआरवी के चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई। सभी को पीआरवी टीम से हटा दिया गया। मामले की जांच की जा रही है।

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