‘यूट्यूबर’ ने तमिलनाडु पुलिस पर आरोप लगाते हुए अदालत का रुख किया, एक करोड़ रुपये मुआवजे की मांग

‘यूट्यूबर’ ने तमिलनाडु पुलिस पर आरोप लगाते हुए अदालत का रुख किया, एक करोड़ रुपये मुआवजे की मांग

नई दिल्ली। ‘यूट्यूबर’ फेलिक्स जेराल्ड ने कथित तौर पर तमिलनाडु पुलिस द्वारा उनके मानवाधिकारों के हनन के विरुद्ध सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। जेराल्ड ने आरोप लगाया है कि तमिलनाडु पुलिस ने उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया है और उनमें मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने जेराल्ड की याचिका के मद्देनजर उन्हें अपने आरोपों के समर्थन में अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने के लिए मोहलत दे दी। 

जेराल्ड को कथित तौर पर अपने यूट्यूब चैनल पर एक अन्य यूट्यूबर सवुक्कु शंकर का "आपत्तिजनक" साक्षात्कार होस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। साक्षात्कार में कथित तौर पर मद्रास उच्च न्यायालय और तमिलनाडु पुलिस की महिला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। उच्च न्यायालय ने मामले को 16 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया है। 

पत्रकार जेराल्ड ने दावा किया कि उन्हें तमिलनाडु पुलिस अधिकारियों ने दो दिनों तक अवैध रूप से हिरासत में रखा और उनके ठिकाने के बारे में उनके परिवार के सदस्यों या दोस्तों को "बुरी मंशा" से नहीं बताया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि गिरफ्तारी के दौरान दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया, जो उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। 

अधिवक्ता सूर्य प्रकाश और अविनाश कुमार के जरिये दायर याचिका में तमिलनाडु सरकार और कई पुलिस अधिकारियों को याचिकाकर्ता को हुई पीड़ा, अपमान और मानहानि के लिए एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि "रेडपिक्स 24×7" यूट्यूब चैनल के मालिक जेराल्ड ने 30 अप्रैल को एक आलोचक और पत्रकार सावुक्कू शंकर का साक्षात्कार लिया, जिसमें तमिलनाडु की सत्तारूढ़ सरकार द्वारा सावुक्कू मीडिया, उनके समाचार आउटलेट को कथित तौर पर निशाना बनाए जाने पर प्रकाश डाला गया। 

साक्षात्कार के बाद, शंकर को चार मई को महिला पुलिसकर्मियों के खिलाफ उनके आरोपों के लिए गिरफ्तार कर लिया। इसमें कहा गया है कि जेराल्ड के यूट्यूब चैनल को भी प्राथमिकी में आरोपी बनाया गया है। याचिका के अनुसार, जेराल्ड की 11 मई को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के साथ मुलाकात का समय था और उन्होंने दिल्ली में अपने प्रवास को दो और दिनों के लिए बढ़ाने की योजना बनाई थी। 

याचिका में कहा गया है, हालांकि, 10 मई को रात करीब 11 बजे, उन्हें "अप्रत्याशित रूप से तमिलनाडु पुलिस विभाग के अज्ञात व्यक्तियों द्वारा’’ अगवा कर लिया गया। याचिका में कहा गया है, ‘‘पता चला है कि वे तमिलनाडु के त्रिची ग्रामीण जिले के पुलिसकर्मी थे, और उन्होंने याचिकाकर्ता को त्रिची साइबर अपराध पुलिस स्टेशन के एक मामले के सिलसिले में हिरासत में लिया था, जो 30 अप्रैल के उसी साक्षात्कार के लिए बाद दर्ज की गई प्राथमिकी में से एक थी।" 

जेराल्ड को बाद की प्राथमिकी के बारे में पता नहीं था और उसे जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत पूर्व नोटिस नहीं दिया गया था। इसके अलावा, यह भी आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता को न तो प्राथमिकी की एक प्रति दी गई और न ही उसकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में बताया गया। 

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