हरदोई: हाईवे पर हुए हादसे में अधिवक्ता के क्लर्क की मौत, परिवार में मचा कोहराम

लखनऊ-पलिया हाई-वे पर कछौना कोतवाली के सामने तेज़ रफ्तार कार ने पीछे से मारी टक्कर

हरदोई: हाईवे पर हुए हादसे में अधिवक्ता के क्लर्क की मौत, परिवार में मचा कोहराम

हरदोई, अमृत विचार। लखनऊ-पलिया हाई-वे पर शनिवार की रात में कछौना कोतवाली के सामने बिहार राज्य की कार ने पैदल जा रहे अधिवक्ता के कलर्क को पीछे से टक्कर मार दी और अंधेरे में भाग निकली। आनन-फानन में उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया,जहां उसकी मौत हो गई। इसका पता होते ही उसके घर में कोहराम बरपा हो गया।

बताया गया है कि कछौना कोतवाली के मोहल्ला ठाकुरगंज बालामऊ निवासी 30 वर्षीय हेमपाल वर्मा पुत्र राजेंद्र वर्मा सण्डीला तहसील में वकालत कर रहे अधिवक्ता का क्लर्क था। शनिवार की रात में हेमपाल वर्मा कुछ बताए बगैर घर से बाहर गया हुआ था। उसी बीच कछौना कोतवाली के सामने तेज़ रफ्तार कार जिसका बिहार राज्य का नंबर बताया जा रहा था ने उसको पीछे से टक्कर मार दी, जिससे उसके दोनों पैर टूट गए और वहीं पर गिर पड़ा। कोई कुछ समझ पाता उसी बीच अंधेरे की वजह से चालक कार के साथ फरार हो गया।

अधिवक्ता के कलर्क को पहले सीएचसी पहुंचाया गया,जहां से उसे मेडिकल कालेज के लिए रिफर कर दिया,वहां उसकी मौत हो गई। एम्बुलेंस-108 के ईएमटी ने पास से मिले मोबाइल फोन से हादसे के बारे में उसके घर वालों को सूचना दी। इसका पता होते वहां चीख-पुकार मच गई। पिता राजेंद्र वर्मा ने बताया कि उसके दो बेटों में हेमपाल बड़ा था। उसके परिवार में पत्नी सविता के अलावा दो बेटी तान्या और प्रियल के अलावा एक बेटा सारांश है। पुलिस ने शव को अपने कब्ज़े में लेते हुए उसका पोस्टमार्टम कराया गया और हादसे की जांच शुरु कर दी है। 

पुलिस में कांस्टेबल है छोटा भाई
हरदोई। बालामऊ के ठाकुर गंज निवासी राजेंद्र वर्मा ने बताया कि उसका छोटा बेटा विपिन वर्मा पुलिस कांस्टेबिल है और प्रयागराज में तैनाती है। शनिवार की रात हुए हादसे की खबर सुनते ही उसके होश उड़ गए,दो-तीन दिन पहले ही उसने अपने पिता और बड़े भाई से दीपावली की तैयारियों के बारे में बात की थी।

कार्यदाई संस्था की लापरवाही दे रही हादसों को बढ़ावा
हरदोई। लखनऊ-पलिया हाई-वे पर लगातार हो रहे हादसों के लिए उसका निर्माण करा रही कार्यदाई संस्था पीएनसी की लापरवाही को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है। लोगों का कहना है कि चौराहों या क्रासिंग पर बन रहे या बन चुके फ्लाई ओवर के इधर-उधर न तो कोई डायरेक्शन बोर्ड है और न ही डाईवर्जन बोर्ड लगा हुआ है। इतना ही पीएनसी की गाड़ियों को उनके चालक चलाते नही बल्कि दौड़ाते फिरते है। उस वजह से भी हादसों को बढ़ावा मिल रहा है। हाई-वे पर हुए हादसों ने न जाने कितने लोगों को निगल लिया,लेकिन ज़िम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

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