लखनऊ: 80 फीसदी गांठ कैंसर नहीं होती, फिर भी सतर्कता जरुरी

केजीएमयू में स्तन कैंसर जागरूकता कार्यक्रम को कुलपति ने किया संबोधित

लखनऊ: 80 फीसदी गांठ कैंसर नहीं होती, फिर भी सतर्कता जरुरी
कार्यक्रम में विजेता कैंसर पुस्तिका का विमोचन करते हुए कुलपति व अन्य

लखनऊ, अमृत विचार: स्तन कैंसर किसी भी महिला को हो सकता है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। शरीर में होने वाली 80 प्रतिशत गांठ कैंसर नहीं होती है। लेकिन गांठ को किसी भी दशा में नजरअंदाज करना उचित नहीं है। गांठ होने पर तत्काल जांच कराएं। डॉक्टर की सलाह पर पूरा इलाज कराएं। समय पर इलाज से महिलाएं आसानी से कैंसर को हरा सकती हैं। यह बातें केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कही।

वह शुक्रवार को केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग में वूमेन इम्पावरमेन्ट ग्रुप की सदस्य एवं सर्जरी विभाग की डॉ. गीतिका नन्दा सिंह की तरफ से आयोजित विजेता स्पिरिट ऑफ कैंसर जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थी।

कुलपति ने कहा कि अच्छी बात यह है कि अब महिलाओं में स्तन कैंसर को लेकर जागरूकता बढ़ी है। इससे मृत्यदर में भी कमीं आई है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि बॉलीवुड सिंगर मैसेज व इनकम टैक्स अफसर अनुपमा राग ने कहा कि नई दवा व सटीक इलाज से बीमारी का पूरी तरह से खात्मा हो सकता है। लिहाजा हिम्मत और हौसले से कैंसर को हराएं।

डॉ. प्रीति कुमार, डॉ. सीमा, डॉ. पुनीता मानिक, डॉ. योगिता भाटिया, डॉ. अभिनव अरुण सोनकर, डॉ. अंजू पांडे, दीपा खत्री, डॉ. अमिता जैन, डॉ. राजेश्वरी सिधल अन्य लोगों ने भी स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षणों को बताने के साथ- साथ जागरूक किया। प्रवक्ता डॉ. केके सिंह व डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर लोगों को स्तन कैंसर के बारे में जागरुक किया।

कैंसर विजेताओं ने साझा किया अनुभव
कार्यक्रम में स्तन कैंसर विजेता 65 महिलाओं ने शिकरत की। अपने अनुभव साझा किए। इंदिरानगर निवासी एक महिला ने बताया कि जब डॉक्टर ने मुझे स्तन का कैंसर बताया तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ। क्योंकि मेरे परिवार में इससे पहले किसी महिला को स्तन कैंसर नहीं हुआ। मैंने कैंसर का कठिन इलाज कराया। कीमोथेरेपी की वजह से शरीर कमजोर हो गया था। रेडिएशन से छाती जल गई थी। फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी। आखिर में मैं जीती और कैंसर हारा।

30 वर्षीय स्तन कैंसर विजेता ने बताया करीब दो साल पहले मेरे स्तन में गांठ जैसा महसूस हुआ। कुछ दिन तो मुझे परिवार के सदस्यों को गांठ के बारे में बताने में झिझक हुई। किसी तरह परिवार के सदस्यों को बताया। उनकी सलाह पर केजीएमयू में डॉक्टर के पास पहुंची। डॉक्टर की सलाह पर जांचें हुई। जिसमें स्तन कैंसर की पुष्टि हुई। बीमारी का पता चलते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। परिवारीजन भी सदमे में आ गए। ऐसा लगा मेरा जीवन खत्म हो गया। फिर डॉक्टर व उनकी टीम ने काउंसलिंग की। इलाज कराने के लिए प्रेरित किया। डॉक्टर व परिवार के सपोर्ट से मैने पूरा इलाज कराया। अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ्य हूं।

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