बाराबंकी: जिला अस्पताल आओ तो सब काम काज छोड़ कर, कहने को नंबर वन, सेवाओं में नहीं सुधार
बाराबंकी, अमृत विचार। गुणवत्ता स्तर पर भले ही जिला अस्पताल नंबर वन का तमगा चिपकाए घूम रहा हो, पर कई सेवाओं को अभी भी दुरुस्त करने की जरूरत है। खासकर मरीजों की लंबी लाइनें, जिसे अस्पताल प्रशासन स्वयं के स्तर पर कम करवा सकता है। सेवाप्रदाता स्टाफ की कमी नहीं है, बस कमी है तो मरीजों की दिक्कत समझने की। मामूली टीका टिप्पणी के बावजूद अगर मरीज धैर्य का परिचय दे रहा है, तो अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
जिला अस्पताल में मरीजों की लंबी लाइन वाले काउंटर भी अधिक नहीं हैं, पर जो हैं वहां पर हालत बडे़ ही उबाऊ हो जाते हैं। पर्चा काउंटर पर लाइन सुबह होते ही लग जाती है। अब शासन के निर्देश पर ऑनलाइन पर्चे की व्यवस्था शुरू कर दी गई है, पर भीड़ छंटने का नाम नहीं ले रही। पर्चा बनवाने के लिए लंबा इंतजार मरीजों की मजबूरी है। दूसरा काउंटर दवा वितरण का है, अंदर का स्टाफ पर्याप्त होने के बावजूद लाइन में खड़े रहना मरीजों की आदत बन गई है। इसके बाद नंबर एक्स रे काउंटर का आता है, जहां पर मरीजा कतारबद्ध दिख जाते हैं।
इस समय चूंकि संचारी रोगों का मौसम चल रहा है, इसलिए रक्त जांच के मामले अचानक बढ़ गए हैं। मंगलवार को ब्लड बैंक के बाहर पुरुष व महिला की दो लाइन बनी हुई थीं। इनमें एक युवती झल्ला कर कह उठी कि सब अंदर छांव में बैठे हैं और हमारी लाइन कम होने का नाम ही नहीं ले रही। बड़ी देर से धूप में खड़े हैं। रही बात डेंगू वार्ड की तो वहां पर फिलहाल चार ही मरीज भर्ती हैं। वैसे अब तक कुल 46 मरीज आ चुके हैं।
सबसे शांत इलाका सीटी स्कैन का
सितंबर 2019 में जिला अस्पताल से एक और सेवा जुड़ गई। जिसकी वजह से मरीजों को बड़ा आराम मिला है। यह सेवा है सीटी स्कैन की। दिमागी व शारीरिक बीमारियों का पता लगाने के लिए होने वाला सीटी स्कैन जिला अस्पताल में निशुल्क है। प्रतिदिन करीब 20 मरीज सीटी स्कैन कराने यहां पहुंचते हैं। लक्षणों के हिसाब से जांच करने के बाद उसी दिन रिपोर्ट दे दी जाती है। यह जिला अस्पताल का सबसे शांत इलाका है।
क्या बोले मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. बृजेश कुमार कहते हैं कि मरीजों की संख्या बढ़ने पर लाइन बनानी ही पड़ेगी। स्टाफ को भी कहा गया है कि मरीज को कोई दिक्कत न हो।
यह भी पढ़ें- Ayodhya news : मनुष्यता का इतिहास वस्तुतः यात्राओं का इतिहास है : प्रो. सदानंद शाही