Breast Cancer: देश में स्तन कैंसर के 60 प्रतिशत मामले 3rd या 4th स्टेज में, बच्चे को दूध न पिलाने वाली महिलाओं में खतरा अधिक

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: फार्मेसिस्ट फेडरेशन की ओर से स्तन कैंसर के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से वेबिनार का आयोजन किया गया। विशेषज्ञ वक्ता के रूप में बोलते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक एवं वरिष्ठ सर्जन डॉ. आरके सिंह ने कहा कि जो महिलाएं बच्चों को अपना स्तनपान कराती हैं उन्हें स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है।

उन्होंने बताया कि देश में स्तन कैंसर के लगभग 60 प्रतिशत मामलों की जानकारी तीसरे या चौथे चरण में हो पाती है। जबकि, सजग रहने से इस समस्या से निजात मिल सकती है। फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि जागरुकता ही बचाव है वास्तव में ये बात स्तन कैंसर के मामले में बहुत ही सटीक है। अगर समय रहते निदान हो गया तो यह पूरी तरह ठीक हो जाता है।

डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के प्रवक्ता प्रो. विष्णु ने कहा कि महिलाओं को नियमित रूप से स्वयं अपने स्तनों की जांच करनी चाहिए, जिससे किसी भी असामान्य बदलाव का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके। यह परीक्षा माहवारी के बाद के कुछ दिनों में की जा सकती है, जब स्तन सामान्य रूप से कम संवेदनशील होते हैं। उन्होंने बताया स्तन में या बगल में कोई गांठ महसूस होना ब्रेस्ट कैंसर का प्रारंभिक संकेत हो सकता है। स्तन की त्वचा में बदलाव, त्वचा में डिंपल पड़ना, लालिमा, या स्तन की त्वचा का मोटा होना ध्यान देने योग्य लक्षण हैं। निप्पल का अंदर की ओर मुड़ना, निप्पल से असामान्य स्राव (खून या दूध जैसा), या निप्पल के आसपास की त्वचा में बदलाव भी कैंसर का संकेत हो सकता है। यदि एक स्तन का आकार दूसरे से अलग हो रहा हो, तो यह असामान्य हो सकता है। सामान्यत: 20 वर्ष की आयु से हर तीन साल और 40 वर्ष की आयु के बाद हर साल चिकित्सक से जांच कराया जाना चाहिए। प्रोफेसर डॉ. अजय शुक्ला ने बताया कि मेमोग्राफी से ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। वेबिनार में उत्तर प्रदेश वैज्ञानिक कमेटी के अध्यक्ष प्रो. संजय यादव, अशोक कुमार ने भी जानकारी साझा की।

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