Barabanki सैयद कुर्बान अली शाह का कुल शरीफ : भारी सुरक्षा के बीच निकली पारंपरिक पालकी यात्रा :

 Barabanki सैयद कुर्बान अली शाह का कुल शरीफ : भारी सुरक्षा के बीच निकली पारंपरिक पालकी यात्रा :

देवा, बाराबंकी/ अमृत विचार । दुनिया को आपसी प्रेम के सूत्र में पिरोने वाले सूफी संत हजरत वारिस अली के पिता हजरत सैयद कुर्बान अली शाह(दादामियाँ) का ऐतिहासिक कुल शरीफ परम्परागत और शान व शौकत के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच सोमवार को संपन्न हुआ। अकीदतमंदो के जन सैलाब के बीच सज्जादा नशीन(दरगाह दादा मियाँ) हाजी सैयद उसमान गनी शाह ने ऐतिहासिक कुल शरीफ की रस्म अदा की। 

दादामियाँ के कुल शरीफ के साथ ही कार्तिक देवा मेला मे वारिस अली शाह के चाहने वालों का जन सैलाब उमड़ने लगा है। हजरत वारिस अली शाह के द्वारा शुरू की गई। इस परम्परा की कड़ी में सोमवार को हजरत कुर्बान अली शाह दादामियाँ की दरगाह के सज्जादा नशीन हाजी सैय्यद उसमान गनी शाह ने दादामियाँ के ऐतिहासिक कुल शरीफ की रवायती परम्परा को अकीदत मंदों के जनसैलाब के बीच पूरा किया। इस कार्तिक मेला के अवसर पर हजरत वारिस पाक पालकी मे सवार होकर अकीदतमंदों के जन सैलाब के साथ दादामियाँ की दरगाह नुमाइश ग्राउंड पहुँच कर कुल शरीफ की रस्म अदा करते थे। उसी ऐतिहासिक परम्परा के अनुसार दरगाह दादामियाँ के मौजूदा सज्जादा नशीन हाजी सैय्यद उसमान गनी शाह पीनस में बैठ कर हजरत वारिस अली शाह के आस्ताने पर हाजिरी देने के बाद वारिस पाक के दीवानों की भीड़ के साथ दादा मियां की दरगाह पहुँचे। इस दौरान वारिस अली शाह के दीवाने अल्लाह वारिस हक वारिस के नारे बुलंद कर रहे थे। पीनस का कॉफिला सबसे पहले दादा मियाँ की दरगाह के सज्जादा नशीन हाजी सैय्यद उसमान गनी शाह के निवास खानकह हजरत कल्लन मियाँ से हजरत वारिस पाक के आस्ताने पर पहुँचा।

जहाँ सज्जादा नशीन ने वारसी दरबार मे हाजिरी दी, यहाँ कूछ समय गुजारने के बाद पालकी में सवार सज्जादा नशीन को लेकर कहार मेला नुमाइश मैदान स्थित दादा मियाँ की दरगाह की ओर चल पड़े। इस दौरान पालकी मे कंधा देने वालों की होड़ मची हुई थी। हर कोई पालकी का बोसा देकर धन्य होना चाहता था। पालकी का बोसा(चूमने) के लिए वारिस पाक के दीवानों की भीड़ सड़क के दोनों तरफ दौड़ रही थी। दुनिया को शान्ति और भाई चारे का पैगाम देने वाले महान सूफी संत हजरत वारिस अली शाह के पिता हजरत कुर्बान अली शाह दादा मियाँ के आस्ताने पर जैसे ही पालकी में सवार सज्जादा नशीन पहुँचे। वारिस पाक के दीवानों ने सज्जादा नशीन का जोरदार स्वागत किया। ऐतिहासिक परम्परा के अनुसार सबसे पहले सज्जादा नशीन हाजी सैय्यद उसमान गनी शाह ने दादा मियाँ की मजार पर चादर पेश की उसके बाद महफिलें समा का आयोजन किया गया। कुरान शरीफ की सूरतों की तिलावत के बाद शिजरा व सलाम पढ़ा गया और मुल्क में शांत, भाईचारा के लिए दुआ की गय। इसी के साथ परम्परा अनुसार दादामियाँ का कुल शरीफ संप्पन हुआ। कुल शरीफ के बाद अकीदत मंदो मे प्रसाद तकसीम किया गया ।

वहीं कुल शरीफ की रस्म अदा करने के बाद सज्जादा नशीन पालकी मे सवार होकर वापस उसी रास्ते से अपने निवास के लिए वारिस पाक के दीवानों के जन सैलाब के साथ रवाना हुए। दादा मियाँ के उर्स मे शामिल होने के लिए बीतीं रात से ही देश के कोने कोने से विभिन्न साधनों से जायरीनों के आने का सिलसिला तेज हो गया था। जिसके कारण कस्बा की गलियाँ वारिस पाक के दीवानों से भरी पडी हैं। चारों ओर खुले आसमान के नीचे अकीदत मंद अपनी बेपनाह मुहब्बत का परिचय दे रहे है। इनमें जात पात का कोई भेद भाव नजर नहीं आ रहा है।

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