गजब: 5637 दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए महज 30 स्पेशल एजुकेटर

विभाग ही लगा रहा है दिव्यांग बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने की योजना में पलीता, एक स्कूल में सप्ताह में एक बार होती है पढ़ाई

गजब: 5637 दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए महज 30 स्पेशल एजुकेटर

अयोध्या, अमृत विचार। शासन की ओर से दिव्यांग बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की योजना का जिले में बंटाधार हो रहा है। विभिन्न परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों को योजना के तहत कोई सुविधा नहीं मिल रही है। गजब हाल यह है कि वर्तमान में जिले के 5637 दिव्यांग बच्चों के लिए महज तीस स्पेशल एजुकेटर तैनात हैं। 

जिसके चलते एक स्कूल में सप्ताह में केवल एक बार दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई हो पा रही है। इतना ही नहीं दिव्यांग बच्चों के लिए मिलने वाली सुविधाओं और संसाधनों का भी घोर अभाव है। जिसके कारण पांच साल में एक भी दिव्यांग बच्चा जिले में शिक्षा की मुख्य धारा से नहीं जुड़ सका। जिले के 5637 दिव्यांग बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं है। 

प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ 30  स्पेशल एजुकेटर की तैनाती है। लिहाजा सप्ताह में एक स्कूल पर एक बार ही पढ़ाई को पहुंच पाते हैं। स्थाई शिक्षकों की तैनाती न होने से इन बच्चों को सप्ताह में एक बार ही पढ़ने और शिक्षकों को पढ़ाने का अवसर मिलता है। प्रतिदिन शैक्षणिक गतिविधियां होती तो निश्चित ही दिव्यांग बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए एक सकारात्मक कदम हो सकता था। इस दिशा में  सरकार की ओर से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। 

कोरोना काल के समय से बंद आवासीय ब्रिज कोर्स कैंप भी बंद हो गया। इस कैंप में हर साल सौ बच्चों को आवासीय सुविधा के तहत बेहतर पढ़ाई कराई जाती थी। अब यह भी बंद हो गया। नतीजा जो अतिरिक्त पढ़ाई होती थी उस पर भी पलीता लग गया है। इसके लिए शासन से पत्राचार होता रहा लेकिन पांच साल में कोई प्रगति नहीं हुई। 

अलबता दिव्यांग बच्चों को उपकरण आदि उपलब्ध कराने के लिए साल में एक बार ब्लाकों में कैंप का आयोजन कर रस्म अदायगी कर ली जाती है। अभी तक सभी 11 ब्लाकों में केवल पांच कैंप आयोजित किए गए हैं। बता दें कि जिले के 1792 परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों के लिए शासन की ओर से कई अतिरिक्त गतिविधियों के संचालन के निर्देश थे लेकिन इनमें से एक का भी संचालन नहीं किया जा रहा है। 

परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए शासन-प्रशासन गंभीर है। स्पेशल एजुकेटर के माध्यम से शैक्षणिक गतिविधियां हो रही है। 2011 में तत्कालीन डीएम, बीएसए की ओर से भेजे गए पत्र की जानकारी है। उच्च स्तर से निर्देश मिलने के बाद नए सिरे से पहल की जाएगी... संतोष कुमार राय, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।

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