पत्थरों पर दिखी अनोखी आकृतियां, कलाकारों ने अपनी भावनाओं को पत्थर पर तराशा
लखनऊ, अमृत विचार: वास्तुकला एवं योजना संकाय, टैगोर मार्ग परिसर में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सहयोग से हो रहे 8 दिवसीय समकालीन मूर्तिकला शिविर के छठे दिन सभी कलाकार मूर्तिशिल्प को अंतिम रूप देने में लगे रहे। प्रकृति विषय पर सभी कलाकार अपने भावनाओं को बखूबी पत्थर को तराश कर सुंदर मूर्तिशिल्प सृजित कर रहे हैं। सभी कलाकृतियां जब लखनऊ के विभिन्न स्थानों पर लगेंगी तो एक अलग वातावरण का आभास होगा।
अन्य प्रदेशों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी एक कला का सुंदर स्वरूप बनेगा। साथ ही आमजनमानस को समकालीन कला से जुड़ने का भी एक अवसर प्राप्त होगा। यह सुंदर प्रयास शिविर के क्यूरेटर डॉ. वंदना सहगल का है। कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि शिविर में कलाकारों द्वारा बनाई जा रहीं रहीं मूर्ति शिल्पों को देखने के लिए लगातार नगर के कलाकार, छात्र, कलाप्रेमी और वास्तुविद आ रहे हैं। शनिवार को वरिष्ठ मूर्तिकार प्रो. कृष्णचन्द्र बाजपेयी और कला प्रेमी राज वर्मा भी आये। उन्होंने इस प्रकार के कला शिविर की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह एक अलग अनुभव है। यह कलाकृति आमजन को समकालीन मूर्तिशिल्प से अवश्य जोड़ेगी।
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