कसाब तक को निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिला : सुप्नीम कोर्ट यासीन मलिक मामले में कहा
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ अपहरण मामले में सुनवाई करते हुए बृहस्पतिवार को टिप्पणी की कि अजमल कसाब को भी ‘हमारे’ देश में निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिला था। न्यायालय ने यह भी संकेत दिया कि वह इस मामले में सुनवाई के लिए तिहाड़ जेल में एक अदालत कक्ष स्थापित कर सकता है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ जम्मू की एक निचली अदालत के 20 सितंबर 2022 के आदेश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह के लिए प्रत्यक्ष रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था।
पीठ ने हालांकि कहा, ‘‘ऑनलाइन माध्यम से जिरह कैसे की जाएगी? जम्मू में शायद ही कोई कनेक्टिविटी है...हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था और उसे उच्च न्यायालय में कानूनी सहायता दी गई थी।’’ पीठ ने सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह इस मामले में गवाहों की कुल संख्या के बारे में निर्देश प्राप्त करें।
मेहता ने सुरक्षा संबंधी मुद्दे को उठाया और कहा कि मलिक को सुनवाई के लिए जम्मू नहीं ले जाया जा सकता। सॉलिसिटर जनरल ने मलिक पर प्रत्यक्ष रूप से पेश होने और वकील न रखने के लिए ‘‘चालाकी’’ करने का आरोप लगाया। मेहता ने कहा कि मलिक कोई साधारण अपराधी नहीं है और इसके साथ ही, सॉलिसिटर जनरल ने आतंकवादी हाफिज सईद के साथ मंच साझा करते हुए मलिक की एक कथित तस्वीर दिखाई।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह संबंधित न्यायाधीश को इस मामले की सुनवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी आने के अलावा जेल के अंदर सुनवाई का आदेश दे सकती है। हालांकि, पीठ ने कहा कि कोई आदेश पारित करने से पहले मामले में सभी आरोपियों का पक्ष सुना जाना चाहिए। मेहता ने कहा कि मलिक के उच्चतम न्यायालय में व्यक्तिगत पेशी से पहले सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हुई थीं।
पीठ ने कहा कि मलिक को शीर्ष अदालत की कार्यवाही में वर्चुअल रूप से पेश होने की अनुमति दी जा सकती है। इसके साथ ही इसने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की। इस बीच, सीबीआई को अपनी याचिका में संशोधन करने और सभी आरोपियों को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया गया है। मेहता ने 2023 में तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखकर मलिक को एक मामले में पेश होने के लिए उच्चतम न्यायालय लाये जाने के बाद "गंभीर सुरक्षा चूक" की ओर इशारा किया था।
आतंकवाद-वित्तपोषण मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को शीर्ष अदालत की अनुमति के बिना सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा में जेल वैन में उच्च सुरक्षा वाले सर्वोच्च न्यायालय परिसर में लाया गया था। उसकी उपस्थिति पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया था कि उच्च जोखिम वाले दोषियों को व्यक्तिगत रूप से अपना मामला रखने के लिए न्यायालय कक्ष में पेश होने की अनुमति की एक प्रक्रिया है।
सीबीआई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के शीर्ष नेता मलिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और उसे तिहाड़ जेल परिसर से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सर्वोच्च न्यायालय ने 24 अप्रैल, 2023 को सीबीआई की अपील पर नोटिस जारी किए थे, जिसके बाद जेल में बंद जेकेएलएफ प्रमुख ने 26 मई, 2023 को सर्वोच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर अपना मामला रखने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की अनुमति मांगी।
मेहता ने अपहरण मामले में गवाहों की व्यक्तिगत जांच के लिए मलिक को जम्मू लाने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका में दी गयी दलील का हवाला दिया और कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 268 के तहत राज्य सरकार कुछ लोगों को जेल की परिधि से बाहर न जाने का निर्देश दे सकती है।
जम्मू की एक विशेष टाडा (आतंकवादी एवं गैर-कानूनी गतिविधि निरोधक कानून) अदालत ने 20 सितंबर, 2022 को मलिक को अपहरण मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए अगली सुनवाई पर उसके समक्ष शारीरिक रूप से पेश होने का निर्देश दिया। सीबीआई ने निचली अदालत के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी क्योंकि टाडा मामलों में अपील केवल शीर्ष अदालत द्वारा ही सुनी जाती है।
रुबैया को आठ दिसंबर, 1989 को श्रीनगर के लाल देद अस्पताल के पास से अगवा किया गया था और पांच दिन बाद उस वक्त रिहा किया गया था जब केंद्र की तत्कालीन वी पी सिंह सरकार ने बदले में पांच आतंकवादियों को रिहा किया था। रूबैया अब तमिलनाडु में रहती हैं। वह सीबीआई की अभियोजन पक्ष की गवाह हैं।
सीबीआई ने नब्बे के दशक की शुरुआत में इस मामले को अपने हाथ में लिया था। मई 2023 में एक विशेष एनआईए अदालत द्वारा आतंकी वित्तपोषण मामले में सजा सुनाए जाने के बाद से मलिक तिहाड़ जेल में बंद है।
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