Karwa Chauth 2024: करवा चौथ व्रत कल, नकारात्मकता दूर कर, करता है सकारात्मक ऊर्जा का संचार

 Karwa Chauth 2024: करवा चौथ व्रत कल, नकारात्मकता दूर कर, करता है सकारात्मक ऊर्जा का संचार

प्रयागराज। नकारात्मकता को दूर कर मानसिक और आध्यात्मिक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाला करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं निराहार रहकर अपने वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और पति की दीर्घायु के लिए रविवार को करेंगी। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ पर्व पति के प्रति समर्पण की भावना को प्रकट करता है।

यह पति-पत्नी के बीच सामंजस्य और रिश्ते की ऊष्मा को दमकाता है और आधुनिकता भी इस परंपरा को डिगा नहीं सका है। इसमें और ज्यादा संवेदनशीलता, समर्पण और प्रेम की अभिव्यक्ति परिलक्षित हो रही है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां पूरे दिन निराहार रहकर अपने सौभाग्य के लिए मां गौरी का व्रत करती हैं और पूजन के पश्चात पति के हाथ से पानी का घूंट पीकर व्रत खोलती हैं।

प्रयागराज वन अनुसंधान केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ कुमुद दुबे ने बताया कि वह वैज्ञानिक बाद में है पहले एक भारतीय महिला हैं, जितना हो सकता है परंपराओं का निर्वहन करने का प्रयास करती हैं। हमें अपने प्राचीन परंपराओं और संस्कार को मजबूती से पकडे रहना चाहिए। यदि हम आधुनिकता के नाम पर इससे दूरी बनाते हैं तब हम अपने जड़ से कट जाएंगे और हमारा वजूद ही खत्म हो जाएगा। पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भागने वाली आधुनिकता का लिबास ओढ़े कुछ भारतीय महिलाएं पुरानी परंपराओं को रूढ़िवादिता का नाम देकर भुला रही हैं।

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उन्होने बताया कि बदलते परिवेश में करवा चौथ व्रत का भी ग्लोबलाइजेशन हो गया है। अब यह पर्व देश में ही नहीं बल्कि विकसित देशों अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर से लेकर दुबई के साथ अन्य स्थानों पर जहां भारतीय रहते हैं धूमधाम से मनाया जाता है। यह भारत के जम्मू, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत तमाम अन्य राज्यों में भी ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाएं सभी भारतीय परंपरा के इस व्रत को करती हैं। उन्होंने बताया कि लंदन में रहने वाली उनकी भाभी अपनी सहेलियों के साथ इस व्रत को बडी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ करती हैं।

डॉ दुबे ने बताया कि करवा चौथ व्रत का पहले इतना प्रचार प्रसार नहीं था। इसे बड़े सादगी ढंग से मनाया जाता रहा है। आधुनिक दौर में सिनेमा और टीवी सीरियल ने इस व्रत को और अधिक बढ़ावा दिया। कुछ महिलाएं तो टीवी सीरियल देखकर इस व्रत को अपना रही है। हालांकि यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए होता है लेकिन आजकल कुछ कुंवारी लडकियां भी मनचाहा वर पाने की चाहत से यह व्रत करती हैं।

उन्होंने बताया कि यह व्रत पति-पत्नी के बीच विश्वास, प्रेम और पवित्रता की डोर से बंधा एक ईश्वरीय बंधन है। यह बंधन, सुखद, अपनेपन और सुरक्षा का अहसास दिलाता है। करवा चौथ इसी बंधन को अटूट रखने की कामना के साथ किया जाता है। यह आपसी प्रेम और विश्वास को मजबूती प्रदान करता है।

बदलते परिवेश में पत्नी के साथ पति भी अपने सफल दाम्पत्य जीवन के लिए करवा चौथ व्रत का पालन करने लगे है। आधुनिकता के बावजूद इस व्रत को करने में महिलाओं में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आई बल्कि और आकर्षण बढ़ा है। टीवी धारावाहिकों और फिल्मों से इसको अधिक बल मिला है। करवा चौथ भावना के अलावा रचनात्मकता और आधुनिकता का भी पर्याय बन चुका है।

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डा. दुबे ने बताया कि करवा चौथ व्रत हमें हमारी संस्कृति से जोड़ता है। अगर नवविवाहिता यह व्रत करती है तब उन्हें पारंपरिक पुरानी रीति रिवाजों काे समझने का अवसर मिलता। यह व्रत उनमें मानसिक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।यह व्रत आध्यात्मिक और भावनात्मक मजबूती भी प्रदान करता है। यह ईश्वर के नज़दीक लाता है और आंतरिक शांति का अनुभव कराता है। व्रत के दौरान ध्यान और प्रार्थना करने से मानसिक शांति मिलती है। इसके अलावा, यह परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और एकता को भी बढ़ाता है। महिलाएं इस दिन एक साथ बैठकर व्रत की तैयारी करती हैं जो पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने और सामूहिकता का अनुभव कराता है।

डॉ. दुबे ने बताया कि यदि एक बौद्धिक स्तर पर विचार किया जाए तो किसी समाज की सांस्कृतिक विरासत उसके मूल्यों, परंपराओं और साझा अनुभवों की परिणति है, जो एकता और उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती है। भारत की एकता इसकी संस्कृति में गहराई से निहित है। भारतीय संस्कृति का केंद्र हिंदू धर्म है, जो सिर्फ एक धर्म नहीं बल्कि एक व्यापक जीवन शैली है। भारतीय संस्कृति का लोकाचार हिंदू धर्म के सिद्धांतों और इसके सह-अस्तित्व और वसुधैव कुटुंबकम के मूल दर्शन के साथ जुड़ा हुआ है।

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