नायब सिंह सैनी: सुर्खियों से दूर रहने वाले नेता से हरियाणा में शीर्ष पद पर काबिज होने तक का सफर

नायब सिंह सैनी: सुर्खियों से दूर रहने वाले नेता से हरियाणा में शीर्ष पद पर काबिज होने तक का सफर

चंडीगढ़। हरियाणा में जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए मार्च में नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री चुना, तो कई राजनीतिक पंडितों का मानना था कि सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन ही चुनाव जीतने के लिए काफी नहीं होगा लेकिन सुर्खियों से दूर रहने वाले और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के इस नेता ने राज्य में अपनी पार्टी को जीत दिलाकर अपने आलोचकों को गलत साबित कर दिया। 

सैनी को मार्च में कद्दावर नेता मनोहर लाल खट्टर के स्थान पर प्रदेश की सत्ता की कमान सौंपी गई थी। उस समय भाजपा आलाकमान के इस फैसले ने जनता के साथ ही राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया था। सैनी (54) ने बड़ी चतुराई से अपने और अपनी पार्टी के बारे में जनता की धारणा बदल दी, जबकि कई लोगों का मानना ​​था कि चुनाव में कांग्रेस की जीत होगी। 

सैनी ने बृहस्पतिवार को पंचकूला में आयोजित एक समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कई नेता शामिल हुए। भाजपा ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीट जीतीं। हिसार से विधायक सावित्री जिंदल समेत तीन निर्दलीय विधायकों ने भी पार्टी को समर्थन दिया है। अंबाला के मिर्जापुर माजरा गांव में 25 जनवरी 1970 को जन्मे सैनी 2014 से 2019 के बीच खट्टर कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। 

पिछले तीन दशक में सैनी राज्य भाजपा में तेजी से उभरे। वह हरियाणा भाजपा किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष और महासचिव के पद पर रहे। वह 2002 में राज्य भाजपा युवा शाखा के अंबाला जिले के महासचिव और तीन साल बाद जिला अध्यक्ष बने। वह 2014 में नारायणगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा और 2019 में कुरुक्षेत्र सीट से लोकसभा के लिए चुने गए। 

पार्टी ने ओबीसी समुदाय और गैर-जाट समुदायों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में अक्टूबर 2023 में सैनी को भाजपा की हरियाणा इकाई प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था। भाजपा ने सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन लाल बड़ौली को जुलाई में पार्टी की राज्य इकाई का प्रमुख चुना। 

सैनी को भाजपा की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष पद से मार्च में ऐसे समय में मुख्यमंत्री के रूप में पदोन्नति मिली थी जब पार्टी खट्टर के साढ़े नौ साल के शासन के बाद सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही थी। इतना ही नहीं, विपक्ष किसानों, बेरोजगारी, अग्निपथ योजना, महंगाई और कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर भाजपा सरकार को चारों ओर से घेरने में लगा था।

मार्च में खट्टर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उनकी करनाल विधानसभा सीट खाली हो गई थी। मई में लोकसभा चुनाव के साथ ही हुए उपचुनाव में सैनी ने कांग्रेस उम्मीदवार तरलोचन सिंह को हराकर यह सीट जीती थी। नायब सिंह सैनी को कुर्सी पर बैठे कुछ ही दिन हुए थे कि लोकसभा चुनाव की घोषणा के चलते लागू आदर्श आचार संहिता और फिर विधानसभा चुनावों की घोषणा के कारण सैनी को जनता का रुख भाजपा के पक्ष करने के लिए केवल दो महीनों का ही समय मिला लेकिन सैनी तुरंत काम में लग गए और उनकी कैबिनेट ने कुछ महत्वपूर्ण फैसले किए। 

इनमें से प्रमुख थे- सशस्त्र बलों में अपनी सेवा पूरी करने के बाद अग्निवीरों को रोजगार और उद्यमिता के अवसर प्रदान करने के लिए हरियाणा अग्निवीर नीति, 2024 को मंजूरी देना और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 10 और फसलें खरीदने के प्रस्ताव को स्वीकृति देना । इसके साथ ही हरियाणा 24 फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने वाला एकमात्र राज्य बन गया।

भाजपा ने 'हर घर गृहिणी योजना' के तहत 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने का भी वादा किया। पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में महिलाओं के लिए 2,100 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता, युवाओं के लिए दो लाख सरकारी नौकरियां और हरियाणा के अग्निवीरों के लिए सरकारी नौकरियों की गारंटी जैसे कई अन्य वादे किए गए।

भाजपा ने मतदाताओं को हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में चुनावी वादों को पूरा करने में कांग्रेस की ‘‘विफलता’’ के बारे में भी बताया। ‘एग्जिट पोल’ को कोई तवज्जो नहीं देते हुए सैनी ने दावा किया था कि भाजपा हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता पर कब्जा बरकरार रखेगी। सैनी ने छह अक्टूबर को कहा था, ‘‘आठ तारीख को जनता देगी जवाब, ये (कांग्रेस) कहेंगे, ईवीएम है खराब।’’ 

सैनी ने अपने निकटतम कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी मेवा सिंह के खिलाफ लाडवा विधानसभा सीट 16,054 वोटों के अंतर से जीत ली। भाजपा ने अपनी परंपरा से हटकर घोषणा की थी कि विधानसभा चुनावों के बाद अगर पार्टी हरियाणा में सत्ता में लौटती है तो सैनी ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे, जबकि पूर्व मंत्री अनिल विज ने भी अपनी दावेदारी पेश की थी। सैनी को भाजपा विधायकों की बैठक में बुधवार को सर्वसम्मति से हरियाणा में भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया और विज उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने उनके नाम का समर्थन किया।  

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