23,000 से अधिक लोग हुए इस साल हुए सड़क हादसे का शिकार, गंभीर घायलों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक

23,000 से अधिक लोग हुए इस साल हुए सड़क हादसे का शिकार, गंभीर घायलों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक

लखनऊ, अमृत विचार : दोपहिया वाहन चालकों को सड़क पर सुरक्षित चलना है तो हेलमेट जरूर पहनें। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में दोपहिया वाहन से घायल होकर पहुंच रहे अधिकतर लोगों के सिर में गंभीर चोट मौत का कारण बनती है। ट्रॉमा में सड़क हादसे के प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से हर साल करीब 23 हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें से अधिकतर मरीज दो पहिया वाहन से घायल होकर पहुंचते हैं। अधिकतर मामलों में चालक ने हेलमेट नहीं पहना होता है। यह जानकारी केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ. प्रेमराज ने विश्व ट्रॉमा दिवस पर साझा की।

डॉ. प्रेमराज ने बताया हर वर्ष 17 अक्टूबर को विश्व ट्रॉमा दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य दुर्घटनाओं के कारण होने वाली गंभीर चोटों और उनके उपचार के प्रति जागरुकता फैलाना है। केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में खासकर सड़क हादसों में घायल मरीजों का इलाज प्राथमिकता से होता है। वर्ष 2023-24 के दौरान, मरीजों को शुरुआती 24 घंटे में नि:शुल्क इलाज की भी सुविधा है। उन्होंने कहा कि हेलमेट लगाने से काफी हद तक मरीज सुरक्षित हो जाता है। वहीं, अन्य डॉक्टरों ने बताया कि मजबूत हेलमेट को नियम के तहत लगाना चाहिए।

गोल्डेन ऑवर में इलाज जरूरी
डॉ. प्रेमराज ने बताया कि गोल्डेन ऑवर में गंभीर रूप से चोटिल व्यक्ति का इलाज समय से शुरू कराने के लिए सभी को जागरूक होना पड़ेगा। सड़कों पर वाहनों का लोड बढ़ने के कारण है स्पीड से होने वाली घटनाएं शहरों में कम हो गई हैं। साथ ही ई-चालान के डर से भी लोग हेलमेट लगाने लगे हैं। इससे शहरों में होने वाले हादसों में गंभीर रूप से घायल लोगों की संख्या में थोड़ा कमी आई है। जबकि, ग्रामीण क्षेत्र में हादसों का आंकड़ा अधिक है। इसकी वजह गोल्डेन ऑवर में उन्हें इलाज मुहैया न हो पाना है।

स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत
पीजीआई के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि देश में हर वर्ष करीब 1 लाख 20 हजार लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाते हैं। इनमें युवाओं की संख्या अधिक है। सड़क दुर्घटना से बचाव के लिए जागरुकता कार्यक्रम स्कूल स्तर पर जरूर होने चाहिए। स्कूलों पर शुरुआत से ही बच्चों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के साथ ही इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।

बचाव के लिए ये करें
- हेलमेट पहनें
- चौपहिया गाड़ी चलाते समय सीट बेल्ट लगाएं
- गाड़ी की स्पीड लिमिट में रखें
-शराब पीकर गाड़ी चलाने से बचें
- गाड़ी चलाने समय मोबाइल का इस्तेमाल न करें
-टेक ओवर करते समय सतर्क रहें

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