पीलीभीत: झूले की अनुमति न मिलने पर आयोजन समिति ने बंद किया मेला, राज्यमंत्री ने पहुंचकर कराया समाधान

पीलीभीत: झूले की अनुमति न मिलने पर आयोजन समिति ने बंद किया मेला, राज्यमंत्री ने पहुंचकर कराया समाधान

पीलीभीत, अमृत विचार। झूले की अनुमति न मिलने पर रामलीला महोत्सव संचालन समिति के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को मेला बंद कर दिया। अधिकारियों पर आरोप लगाया कि कई दिन पूर्व आवेदन करने के बाद भी अभी तक अनुमति नहीं दी गई। इसे लेकर आक्रोश बढ़ा और भीड़ जमा हो गई। देर शाम राज्यमंत्री संजय सिंह गंगवार रामलीला मैदान पहुंचे और जानकारी की। 

पुलिस प्रशासनिक अफसर भी आ गए थे। राज्यमंत्री ने जिलाधिकारी से बात करने के बाद झूले की अनुमति देने और इसमें की गई देरी पर जांच कराकर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने की बात कही। राज्यमंत्री के आश्वासन के बाद संचालन समिति के पदाधिकारी संतुष्ट हुए और फिर लीलाएं शुरू करा दी गई।

श्रीरामलीला महोत्सव संचालन समिति की ओर से शहर के रामलीला मैदान में रामलीला मेले का आयोजन किया जा रहा है। समिति पदाधिकारियों के अनुसार जिला प्रशासन द्वारा मेले में झूले की अनुमति नहीं दी गई। जबकि इसके लिए आवेदन कई दिन पहले ही कर दिया गया था। 

उधर, गजरौला में मेले में लगे झूले के टूटने के हादसे के बाद प्रशासन सख्त हुआ और अफसरों ने पहुंचकर शहर के रामलीला मेले में भी झूले चलाने पर कार्रवाई की चेतावनी दे डाली। जिसे लेकर शुक्रवार शाम को हंगामा हो गया। मेला कमेटी ने झूले की अनुमति न मिलने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए मेले का संचालन रोक दिया। 

कमेटी के अंबरीश शर्मा ने बताया कि पिछले एक माह से झूले की अनुमति मांगी जा रही है। लेकिन स्थानीय प्रशासन इसको लेकर पूरी तरह से लापरवाह बना रहा। मेले में पिछले कई सालों से झूला लग रहा है। इसके बाद भी उनको अनुमति नहीं दी जा रही है। कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता भी की गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। मेला बंद होने की जानकारी पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए। 

इसकी सूचना मिलने सिटी मजिस्ट्रेट विजय वर्धन तोमर, इंस्पेक्टर सुनगढ़ी पवन कुमार पांडेय पहुंच गए।  राज्यमंत्री संजय सिंह गंगवार भी मेला मैदान पहुंच गए। उन्होंने आयोजन समिति से जानकारी की। इसके बाद डीएम से दूरभाष पर वार्ता कर नाराजगी जताई।

राज्यमंत्री ने कहा कि मेले में झूले की अनुमति दी जाए और अब तक जो अनुमति देने में लापरवाही बरती गई है उसकी जांच कराएं, ताकि दोषियों पर कार्रवाई की जा सके। इसके बाद आनन-फानन में ही झूले की अनुमति दे दी गई। तब जाकर मामला शांत हो सका। इसके बाद लीलाएं शुरू कर दी गई।

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