अयोध्या: आगमन के लिए गौरी तैयार, आप भी ला सकते हैं अपने घर, जानिये कैसे

नामकरण के बाद दत्तक ग्रहण के लिए भेजी गई नवजात

अयोध्या: आगमन के लिए गौरी तैयार, आप भी ला सकते हैं अपने घर, जानिये कैसे

कुछ दिन पहले मिल्कीपुर क्षेत्र में झाड़ियों में मिली थी बच्ची

अयोध्या, अमृत विचार। शक्ति की प्रतीक नारी के उपासना का पर्व चल रहा है। गाँव से शहर तक लोग श्रद्धा और उल्लास में सराबोर हैं। पांडालों में विराज रही दुर्गा की विदाई की तैयारी चल रही है और फिर पंडालों में दुर्गा के विभिन्न रूपों की वापसी नवरात्र में ही होगी लेकिन एक गौरी आपके द्वार और घर आने के लिए तैयार है। आप भी इस गौरी को अपने घर लाने के लिए आवेदन कर दावेदार बन सकते हैं। बाल कल्याण समिति से संपर्क कर गौरी को अपने घर ला सकते हैं।  

नवरात्रि के पावन अवसर पर जब सभी लोग माता दुर्गा के नौ स्वरूप की अराधना कर रहे हैं, वहीं कोई जैविक माता-पिता संकटमय स्थिति में नवजात बालिका को झाड़ियों में छोड़ गया। यह नवजात बालिका 6 अक्टूबर को जिले के खंडासा थाना क्षेत्र स्थित झाड़ियों में मिली थी। स्थानीय लोगों की सूचना पर नवजात बालिका को चाइल्ड लाइन ने स्थानीय पुलिस की मदद से इलाज के लिए जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया था। नवजात के स्वस्थ होने के बाद डाक्टर की ओर से उसे डिस्चार्ज कर दिया गया, तो चाइल्ड लाइन और पुलिस की ओर से नवजात बालिका को दुर्गा अष्टमी तिथि पर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। 

अष्टमी होने के चलते बाल कल्याण समिति ने नवजात का नामकरण गौरी के रूप में किया है तथा चाइल्ड लाइन को दत्तक ग्रहण अभिकरण में रखने का आदेश दिया है। समिति अध्यक्ष और सदस्य सिद्धार्थ तिवारी, लल्लन प्रसाद अंबेश व स्मृता तिवारी ने आशीर्वाद लेकर बालिका को अभिकरण रवाना किया है। सीडब्लूसी अध्यक्ष सर्वेश अवस्थी का कहना है कि केंद्र की ओर से कोई भी नवजात परित्यक्त बलिका मिलने पर उसका नामकरण संस्कार किया जाता है और पूजन के बाद दत्तक ग्रहण के लिए संस्था को भेजा जाता है। कन्या पूजन के माध्यम से निर्दोष नवजात के जन्म लेते ही समाज की ओर से उसके साथ किए गए इस तरह के कार्य को लेकर क्षमा याचना की जाती है। 

अभिकरण में गौरी की हुई पहली एंट्री 

जिले में इसी शारदीय नवरात्र पर अयोध्या में दत्तक ग्रहण अभिकरण की शुरुआत की गई है। अभिकरण में दाखिल होने वाली गौरी प्रथम नवजात शिशु है जो 60 दिनों तक अपने विधिक संरक्षक जैविक माता-पिता के इंतजार में अभिकरण में रहेगी। इसके बाद बाल कल्याण समिति की ओर से उसे दत्तक ग्रहण के लिए मुक्त कर दिया जाएगा और फिर जिलाधिकारी के आदेश से दत्तक माता-पिता के संरक्षण में चली जाएगी।

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