Navrat 2024: भक्तों के मन में हरिद्वार से कम नहीं उन्नाव में बसी मां मंशा देवी की महिमा...कभी भक्त अपनी अंगुली और जीभ चढ़ाकर मां को करते थे प्रसन्न

Navrat 2024: भक्तों के मन में हरिद्वार से कम नहीं उन्नाव में बसी मां मंशा देवी की महिमा...कभी भक्त अपनी अंगुली और जीभ चढ़ाकर मां को करते थे प्रसन्न

उन्नाव, कुलदीप शुक्ला। फतेहपुर चौरासी क्षेत्र के गांव पंडाखेड़ा (फिरोजपुर खुर्द) में अति प्राचीन सिद्धिपीठ मां मंशा देवी का मंदिर स्थित है। यहां होने वाले मां के चमत्कार लोगों ने देखे हैं। वैसे तो हर सोमवार और शुक्रवार यहां भारी भीड़ होती है। लेकिन दोनों नवरात्र में यहां भागवत कथा व भंडारा चलता है। अष्टमी को विशाल मेला लगता है। जिसमें हजारों लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं। शाम को भव्य आरती होती हैं। कहते हैं कि मां मंशा देवी की महिमा भक्तों के मन में हरिद्वार में विराजी मां मंशा देवी से कम नहीं है। 

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क्या है मंशा माता की महिमा 

क्षेत्रीय बुजुर्ग बताते हैं कि सैकड़ों वर्ष पूर्व पंडा बाबा नमक संत ने स्वप्न में माताजी को देखा। जिसमें उन्हें वहां खुदाई करने का आदेश मिला था। पंडा बाबा ने जब खुदाई की तो वहां पर मंशारानी की मूर्ति निकली। जिसे पंडा बाबा ने वहीं स्थापित कर दी। इसके बाद से इस गांव का नाम भी पंडाखेड़ा रखा गया। पंडाबाबा ने मंशादेवी मंदिर को सेवा का कार्यभार शिष्य स्व. प्यारेलाल सिंह के पूर्वजों को सौंप दिया था। जिसका निर्वहन आज भी उनका परिवार कर रहा है। बुजुर्ग बताते हैं की मां की मूर्ति को हरदोई जिले के कासिमपुर के लोग अपनी कुलदेवी बता हरदोई लेकर चले गए थे। जिससे मां के भक्त निराश हो गये थे। जिससे दूसरे ही दिन मां पुनः यहां अपनी मठिया में आ बैठी थीं। जिसके बाद वहां के लोग फिर मां की मूर्ति लेने आये। लेकिन मां के चमत्कार से मां की मूर्ति खोदने वाले लोग मूर्ति में ही सुबह चिपके मिले थे। जिसके बाद मां से क्षमा याचना मांगने के बाद वे लोग लौट सके थे। वहीं लोगों का कहना है कि मंशा माता के दर्शन कई बार लोगों को छोटी कन्या के रूप में मंदिर के अंदर आते जाते हुए हैं।

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मां मंशा देवी भरती है महिलाओं की सूनी गोद 

भक्तों की मानें तो मां मंशादेवी ने सबकी खाली झोली भारी है और हज़ारों क सूनी गोद भरी हैं। यहां महिलाएं सर्वाधिक संख्या में मन्नत मांगती हैं। मनोकामना का धन रखती हैं तथा चोखट पर डलिया चढ़ाई जाती हैं। यहां नवरात्र में मुंडन व छेदन संस्कार होते हैं। मेला प्रबंधक रामबक्स सिंह कहते हैं कि पहले हर नवरात्र की अष्टमी को लोग अपनी अंगुली और जीभ भी चढ़ाते थे। उनकी कभी भी छति तो नहीं हुई। पर इस प्रथा को अब बंद करा दिया है। अष्टमी को ही सुबह हवन पूजन तथा शाम को महाआरती होती है। जिसमें मां के दर्शन के लिए हज़ारों भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

पर्यटन विभाग ने करोड़ों से मंदिर का कराया था सौंदर्यीकरण

मंदिर व्यवस्थापकों के प्रयास के बाद पर्यटन विभाग द्वारा करोड़ों रुपये से मंदिर परिसर में सौंदर्यीकरण के कार्य हुए हैं। जिसमें एक हाल, तालाब का सौंदर्यकरण तथा शौचालय समेत कई अन्य कार्य कराये गये हैं।

कैसे पहुंचे मां मंशा देवी मंदिर

जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर हरदोई-उन्नाव मार्ग पर सफीपुर के पास हुलासी कुआं मोड़ से ऊगू स्टेशन -तकिया चौराहा मार्ग से मंशादेवी मंदिर पंडाखेड़ा गांव पहुंचकर मंशादेवी मंदिर जा सकते हैं। वहीं लखनऊ- बांगरमऊ मार्ग से तकिया चौराहा से 3 किमी उगू की ओर चलने पर ई-रिक्शा, टेंपो व निजी वाहनों से माता के दरबार जाया जा सकता है। यहां ट्रेन से भी जाया जा सकता है।

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