प्रयागराज : जिला प्रशासन के आदेश को रद्द कर उर्स मनाने की अनुमति दी

प्रयागराज : जिला प्रशासन के आदेश को रद्द कर उर्स मनाने की अनुमति दी

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सूफी विद्वान के अनुयायियों को उर्स मनाने की अनुमति देने से इनकार करने के मामले में कहा कि कोर्ट केवल इस आधार पर उर्स का आयोजन करने के लिए हजरत शाह मोहम्मद सकलैन मियां हुजूर के अनुयायियों को मना नहीं कर सकती कि इसका आयोजन किसी अन्य धार्मिक त्यौहार के साथ होगा।

कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि सूफियों के बीच उर्स का पालन कोई नई प्रथा नहीं है और याची सार्वजनिक सड़कों, मार्गो, गलियों आदि में तेज आवाज में संगीत बजाते हुए चद्दर का जुलूस निकाले जाने के संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष लिखित वचन देने के लिए तैयार है। इसके अलावा इस्लामिया इंटर कॉलेज के छात्रों को होने वाली असुविधा के संबंध में पुलिस उपाधीक्षक, बरेली द्वारा उठाई गई आपत्ति का खंडन करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कॉलेज प्रशासन ने पहले ही याचियों को उर्स मनाने के लिए अनापत्ति दे दी है।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने आस्तान-ए-आलिया सकलैनिया शराफतिया और अन्य द्वारा दाखिल याचिका को निस्तारित करते हुए पारित किया। याचिका में बताया गया कि हजरत शाह शराफत अली के पोते हजरत शाह मोहम्मद सकलैन मियां हुजूर की याद में उर्स मनाना चाहते थे, जिनका पिछले साल अक्टूबर में निधन हो गया था। उन्हें एक सूफी विद्वान के रूप में बताया गया है, जिनके बरेली जिले के आसपास के क्षेत्र में कई अनुयायी हैं। धार्मिक प्रथा के अनुसार उनका पहला उर्स 8 और 9 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।

हालांकि सिटी मजिस्ट्रेट, बरेली द्वारा उर्स मनाने की अनुमति को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उर्स का आयोजन नवरात्र उत्सव के साथ होगा और पूरे शहर में दुर्गा पूजा पंडालों और रामलीलाओं के प्रदर्शन के साथ उर्स की भारी भीड़ को संभालना कठिन हो जाएगा। अंत में कोर्ट ने सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश को खारिज करते हुए याचियों को उर्स मनाने की अनुमति प्रदान की।

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