बाधाओं के बावजूद

बाधाओं के बावजूद

पिछले कुछ वर्षों में विश्व अर्थव्यवस्था अभूतपूर्व झटकों से गुजरी है। वैश्विक सैन्य संघर्षों ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित किया है, जिससे ऊर्जा और खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई है। सामरिक बाधाएं सामने आई हैं। इसके बावजूद वर्ष 2021 से भारत स्थिर व्यापक आर्थिक वातावरण के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत द्वारा अनुभव की गई सात प्रतिशत से अधिक की औसत वृद्धि वैश्विक औसत से दोगुनी से भी अधिक है।

हाल के दशक में भारत का महत्वपूर्ण आर्थिक प्रदर्शन पांच वर्षों में उसके 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक पहुंचने में साफ नजर आता है। शुक्रवार को कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ के आधार पर लगातार निर्णय कर देश को आगे बढ़ा रहे हैं, हम लगातार सुधारों को आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध हैं। महत्वपूर्ण है कि आज भारत  दुनिया के निवेशकों के लिए आकर्षक स्थल है, इसका कारण पिछले 10 साल में किए गए सुधार हैं। राजग सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले तीन महीनों में 15 लाख करोड़ रुपये के निवेश से जुड़े फैसले लिए गए हैं। 

वास्तव में भारत मजबूत बुनियाद के आधार पर सतत रूप से उच्च वृद्धि के रास्ते शीर्ष पर बने रहने के लिए मेहनत कर रहा है। सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों से आने वाले दशकों में आम आदमी के जीवन स्तर में वृद्धि होने की उम्मीद है। विकसित राष्ट्र बनने के लिए संरचनात्मक सुधार जारी रहें, इसके लिए सरकार को  सुनिश्चित करना होगा कि वित्तीय प्रणाली स्वस्थ बनी रहे और चक्र लंबे समय तक चले। समावेशी विकास, जिम्मेदार डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने तथा वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को बढ़ाने पर भारत की प्रतिबद्धता 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की इसकी आकांक्षा को रेखांकित करती है, जिसे कई लोग भारतीय युग कह रहे हैं।

ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था किस प्रकार अधिक नियमित नौकरियां पैदा कर सकती है। हालांकि सरकार का नौकरियां, कौशल, सतत विकास और निरंतर तेजी से विस्तार पर विशेष ध्यान है। वैश्विक एजेंसियों ने भारत के लिए सात प्रतिशत से अधिक की विकास दर का अनुमान लगाया है। सरकार को इससे भी बेहतर प्रदर्शन का भरोसा है। स्थानीय विनिर्माण के लिए पीएलआई योजनाओं के तहत भारत को 1.25 लाख करोड़ रुपये का निवेश मिला। बहुत जल्द पांच सेमीकंडक्टर संयंत्र दुनिया भर में मेड इन इंडिया चिप्स की आपूर्ति करेंगे। साफ है कि वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच सेतु-निर्माता के रूप में भारत की भूमिका अहम है।