बाराबंकी: मां के सजे दरबार...दूसरे दिन हुई ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा, देवी के मंदिरों में उमड़ी भीड़
सुबह से रात तक पूजा पंडालों में दिख रहा भक्ति का रस
बाराबंकी, अमृत विचार। नवरात्रि के दूसरे दिन मां भगवती के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना की गई। घरों में कलश पूजन के साथ ही दुर्गा सप्तशती पाठ किया गया। आदिशक्ति के मंदिरों फतेहपुर के उजली देवी, शहर के बड़ी व छोटी देवी समेत अन्य देवी मंदिरों में दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ रही। विल्व निमंत्रण और आह्वान के साथ ही अखंड ज्योति जलाकर सनातनधर्मियों ने कहीं दुर्गा शप्तसती तो कहीं सहस्त्रनाम के पाठ शुरू किए। घरों से लेकर देवी मंदिरों तक नवरात्र की आराधना के लिए भक्तों का उत्साह देखने लायक रहा। मंदिरों में घंटे-घडिय़ाल के साथ दिन भर मंत्रोच्चार गूंजते रहे।
शारदीय नवरात्रि की द्वितीया पर देवी के दूसरे स्वरूप की आराधना की गई। अधिकतर सनातनी परिवारों में कलश स्थापना होने की वजह से कई पुरोहितों को तीन से चार यजमानों के यहां मां दुर्गा का आह्वान कराना पड़ा। घरों में भी महिलाओं द्वारा नौ दिन का व्रत रखकर कलश स्थापना की गई है। भय बाधा से मुक्ति के लिए नवरात्र के अनुष्ठानों की इस बार होड़ मची है। सुबह ही फूलों, रंगोलियों और तरह-तरह के हल्दी-चंदन के स्वास्तिक और ऊं के प्रतीकों से मंदिरों को सजाया गया है। मां को लाल चुनरी और तरह-तरह का भोग अर्पित किया जा रहा है।
पहले दिन फतेहपुर कस्बे महादेव तालाब स्थित उजली माता के मंदिर को भव्य के साथ सेवादारों द्वारा सजाय गया था। देर शाम हो रही आरती भी भारी संख्या में श्रद्धालु अपनी हाजिरी लगा रहे हैं। इनमें बच्चों से लेकर वृद्धजन तक शामिल हैं। मां ब्रह्मचारिणी को संयम की देवी भी कहा जाता है। माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है। वहीं दूसरी ओर पूजा पंडालों में स्थापित की गईं मां दुर्गा की उपासान भक्तों द्वारा की जा रही है। सुबह आरती पूजन के बाद शाम को देर रात तक जागरण, जवाबी कीर्तन, भजन आदि के साथ प्रतियोगिताएं भी आयोजकों द्वारा कराई जा रहीं हैं।
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