सावधान रहने की जरूरत

सावधान रहने की जरूरत

चीन बार-बार भारत की ओर अतिक्रमण करके क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने का प्रयास करता रहा है। दोनों देश सीमा पर बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं और सैन्यीकरण कर रहे हैं। चीन के पास आर्थिक, सैन्य और तकनीकी ताकत है। भारत अपनी कूटनीति से इसका मुकाबला करने की कोशिश कर रहा है। मंगलवार को थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के बीच जारी सैन्य गतिरोध पर चाणक्य रक्षा संवाद में कहा कि इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति संवेदनशील है और सामान्य नहीं है। भारत किसी भी प्रकार की आकस्मिक स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, जिसमें एक सीमा शामिल है जो लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ चलती है। सीमा का पूरी तरह से सीमांकन नहीं किया गया है और वास्तविक नियंत्रण रेखा की पुष्टि और स्पष्ट करने की प्रक्रिया अभी भी जारी है। इसने दोनों पक्षों के बीच कई झड़पों को जन्म दिया है।

मई 2020 में भारत चीन सीमा पर सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था। भारत का लक्ष्य मई 2020 में शुरू हुए सैन्य गतिरोध से पहले की स्थिति को बहाल करना है। हालांकि पिछले कुछ माह के दौरान भारत और चीन के बीच अनेक राजनयिक वार्ताएं हुई हैं, जिनसे संभावना बढ़ी है कि पूर्वी लद्दाख में जो सैन्य टकराव की स्थिति बनी हुई है, उसे कम करने का कोई रास्ता निकल सकता है। 

गौरतलब है कि चीन इस क्षेत्र में किसी भी भारतीय निर्माण का विरोध करता है जबकि वह खुद रणनीतिक निर्माण जारी रखता है। 15 जून, 2020 को गलवान में मुख्य संघर्ष से पहले दोनों पक्ष पैंगोंग त्सो, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में झड़पों में लगे हुए थे। भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते।

गतिरोध का समाधान निकालने के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। इसके बावजूद जिस तरह से चीन अपनी अग्रिम सैन्य पोजीशन को मजबूत करता जा रहा है और एलएसी पर स्थायी रक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाता जा रहा है, उससे स्पष्ट है कि पीएलए शांति के समय की स्थिति पर नहीं लौटेगी। चीन की गतिविधियां किसी से छिपी नहीं है। इसलिए भारत को चीन से सावधान रहने की जरूरत है।