सुधारों की ओर
मेक इन इंडिया अभियान से देश की अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हो रही है। भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए इस पहल ने ऐतिहासिक दशक पूरा कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर अभियान जनांदोलन बना है। देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लगातार बढ़ना भी हमारे मेक इन इंडिया की सफलता की गाथा कह रहा है। वास्तव में देश को मैन्युफैक्चरिंग और इनोवेशन का केंद्र बनाना देशवासियों के सामूहिक संकल्प को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इस कार्यक्रम ने घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने, नवाचार को बढ़ावा देने, कौशल विकास को बढ़ाने और विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रविवार को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने मेक इन इंडिया अभियान के 10 वर्ष पूरे होने का उल्लेख करते हुए कहा कि अभियान की सफलता में देश के बड़े उद्योगों से लेकर छोटे दुकानदारों तक का योगदान शामिल है।
अभियान के तहत अब जिन दो चीजों पर फोकस किया जा रहा है, उसमें पहला गुणवत्ता यानि देश में बनी चीजें वैश्विक मानकों की हों। दूसरा है ‘वोकल फॉर लोकल यानी, स्थानीय चीजों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिले। विभिन्न क्षेत्रों पर मेक इन इंडिया पहल के सकारात्मक प्रभाव नजर आते हैं। विश्व बैंक की ईज आफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में वर्ष 2014 में 142वें स्थान से वर्ष 2019 में 63वें स्थान पर पहुंचने से व्यापार की स्थिति में सुधार के लिए भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है। अभियान का ही असर है कि पिछले दस साल में भारत में हर घंटे एक स्टार्टअप लांच हुआ।
सरकार के निरंतर प्रयासों से 30 जून तक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या बढ़कर 1,40,803 हो गई है, जिससे 15.5 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं। 2014 से 2024 तक 667.4 अरब अमेरिकी डॉलर का संचयी प्रवाह आकर्षित किया है, जो पिछले एक दशक (2004-14) की तुलना में 119 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। पिछले एक दशक में विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 165.1 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले एक दशक (2004-14) की तुलना में 69 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है, जिसमें 97.7 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रवाह देखा गया था।
भारत लगातार सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रहा है। परंतु देश में निर्मित वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि जैसी चुनौतियों के चलते अभियान के तहत सफलता के साथ ही कुछ कमियां भी देखी गईं। अभियान का उद्देश्य आयात को कम करके निर्यात को बढ़ावा देना था, लेकिन निर्यात को बढ़ावा देने में अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके। इसके लिए देश में व्यापार के लिए स्वस्थ वातावरण का निर्माण जरूरी है।