बरेली: रबड़ फैक्ट्री...बॉम्बे हाईकोर्ट और डीआरटी में अलग वाद दायर करेगा प्रशासन
करीब 14 सौ एकड़ जमीन राज्य सरकार के पक्ष में वापस लेने के लिए नए सिरे से कानूनी स्टैंड लेने की तैयारी, राज्य सरकार से मांगी अनुमति
राकेश शर्मा बरेली, अमृत विचार। रबड़ फैक्ट्री की करीब 14 सौ एकड़ जमीन राज्य सरकार के पक्ष में वापस लेने के लिए जिला प्रशासन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में पहले से चल रहे केस से अलग नया वाद दायर करने के साथ डीआरटी (ऋण वसूली न्यायाधिकरण) में भी वाद दायर करने का फैसला लिया है। इसकी तैयारी भी शुरू कर दी गई है। दोनों कोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए मुंबई के दो नामचीन वकीलों के नाम भी तय कर दिए गए हैं। अब राज्य सरकार से याचिका दाखिल करने की अनुमति मांगने के साथ दोनों वकीलों के फीस शेड्यूल की भी मंजूरी मांगी गई है।
रबड़ फैक्ट्री की जमीन को राज्य सरकार के पक्ष में लेने का केस काफी समय से बॉम्बे हाईकोर्ट में अटका हुआ है। करीब दो महीने पहले इस मुद्दे पर शासन की ओर से लखनऊ में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई थी। इसके बाद अब नए सिरे से कानूनी पक्ष तैयार करने की तैयारी शुरू की गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट और डीआरटी में नए सिरे से अलग-अलग वाद दायर करने के लिए मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल की ओर से 17 सितंबर को प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास को पत्र भेजा गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील अनिल सिंह की ओर से रबड़ फैक्ट्री के केस में हाईकोर्ट और डीआरटी मुंबई में जमीन का कब्जा वापस लेने के संबंध में अलग वाद दाखिल करने की योजना की जानकारी दी गई थी।
इसके बाद 23 सितंबर को यूपीसीडा के क्षेत्रीय प्रबंधक मंसूर कटियार की ओर से भी उप सचिव औद्योगिक विकास को पत्र लिखा गया जिसमें मंडलायुक्त की ओर से 17 सितंबर को भेजे पत्र का संदर्भ ग्रहण करने का अनुरोध किया गया है। पत्र में वाद दाखिल करने के लिए अधिवक्ता आदित्य ठक्कर और सौभाग्य अग्रवाल को नामित किए जाने की जानकारी देते हुए उनसे याचिका तैयार कराने और उसकी प्रभावी पैरवी के साथ बहस करने के लिए उत्तर प्रदेश शासन से आबद्ध करने का अनुरोध किया गया है।
पत्र में दोनों वकीलों को शासन से आबद्ध करने के संबंध में उनकी फीस के शेड्यूल की भी संस्तुति की गई है। इसके साथ बॉम्बे हाईकोर्ट और डीआरटी मुंबई में याचिका दाखिल करने के संबंध में शासन स्तर पर जल्द निर्णय लेने का भी आग्रह किया गया है।
फिलहाल राज्य सरकार पक्षकार है रबड़ फैक्ट्री केस में
बॉम्बे हाईकोर्ट में पिटीशन नंबर 999/2020 अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम मेसर्स सिंथेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड व अन्य के केस में राज्य सरकार पक्षकार है। राज्य सरकार की ओर से हस्तक्षेप आवेदन के दाखिल किए जाने के बाद से लगातार तारीखें पड़ रही हैं। सभी पक्षों से बहस भी हो चुकी है। हाईकोर्ट में 10 सितंबर को भी इस केस की तारीख थी लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। सरकार पहले से मजबूत पैरवी कर रही है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सी सिंह ने कई तारीखों पर मुंबई जाकर पैरवी की है।
1999 में बंद हो गई थी रबड़ फैक्ट्री
फतेहगंज पश्चिमी में रबड़ फैक्ट्री स्थापित करने के लिए 1960 के दशक में मुंबई के सेठ किलाचंद को 3.40 लाख रुपये लेकर 1382.23 एकड़ भूमि तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने लीज पर दी थी। लीज डीड में यह शर्त शामिल थी कि फैक्ट्री बंद होने पर सरकार जमीन वापस ले लेगी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था। फैक्ट्री 15 जुलाई 1999 को बंद हो गई। अब केस बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन है।