अफसरों के पदनाम से पहले माननीय जोड़ने पर हाईकोर्ट हैरान, प्रदेश सरकार से मांगा जवाब
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौसमी संग्रह चपरासी के एक मामले में सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव, राजस्व विभाग, उत्तर प्रदेश से हलफनामे के माध्यम से यह जानकारी मांगी कि क्या राज्य के अधिकारियों के बारे में ऐसा कोई प्रोटोकॉल है जो उन्हें अपने पदनाम या नाम के साथ 'माननीय' शब्द जोड़ने का हकदार बनाता है।
कोर्ट ने कहा कि यह स्थापित सिद्धांत है कि मंत्रियों तथा अन्य संप्रभु पदाधिकारियों के नाम के साथ 'माननीय' शब्द उपसर्ग के रूप में लगाया जाता है, लेकिन राज्य सरकार में सेवारत सचिवों के लिए भी यही बात लागू होती है या नहीं, इस संदर्भ में कोई निश्चित सूचना नहीं है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने इटावा निवासी कृष्ण गोपाल राठौर की याचिका पर विचार करते हुए की।
दरअसल कोर्ट ने एक मामले में कानपुर के मंडलायुक्त को इटावा के जिलाधिकारी द्वारा 'माननीय आयुक्त' कहकर संबोधित करने पर हैरानी जताते हुए कहा कि कई आधिकारिक पत्राचारों में राज्य के विभिन्न रैंक के अधिकारियों के नाम के साथ 'माननीय' शब्द जोड़कर नियमित रूप से उल्लेख करना कहां तक उचित है।
इसके साथ ही कोर्ट ने याची के मामले में सरकारी अधिवक्ता को निर्देश लेने के लिए कहा है कि याची से जूनियर कर्मचारियों को मौसमी संग्रह चपरासी की श्रेणी में सेवा में रखा गया है या नहीं, क्योंकि याची को इस श्रेणी में ना तो रखा गया है और ना ही नियुक्त किया गया है। इस संबंध में जिलाधिकारी, इटावा से भी एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया है। मामले को 1 अक्टूबर 2024 के लिए सूचीबद्ध करते हुए निबंधक (अनुपालन) को उक्त आदेश की प्रति प्रमुख सचिव, राजस्व विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
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