Kanpur: जलस्तर घटा पर मुसीबतें बरकरार, बाढ़ में सैकड़ों बीघा फसलें बर्बाद, बीमारियां फैलने की आशंका
कानपुर, अमृत विचार। गंगाबैराज किनारे बसे करीब एक दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी घुसने के बाद जहां ग्रामीणों की पूरी फसलें बर्बाद हो गईं वहीं दो सैकड़ा परिवारों का जीना दुश्वार कर दिया। जलस्तर घटने के बाद अब चारों ओर कीचड़ फैला हुआ है।
खेतों में अभी भी कमर तक पानी भरा होने से शाम होते ही मच्छरों का भारी प्रकोप हो जाता है। तेज धूप में जलभराव के कारण सड़ांध से तरह-तरह की बीमारियां फैलने की आशंका हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वह लोग पिछले 10 दिनों से बाढ़ का दंश झेल रहे हैं, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता उन लोगों को प्राप्त नहीं हुई।
ग्वालटोली थानाक्षेत्र में स्थित चैनपुरवा, घारमखेड़ा, देवनीपुरवा, पहाड़ीपुरवा, छोटा मंगलपुर, बड़ा मंगलपुर, नत्थापुरवा, कद्दूपुरवा आदि गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया था। जिससे यहां रह रहे तकरीबन 200 परिवार प्रभावित हैं। इन गांवों में रहने वाले लोगों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया। नाव और ट्रैक्टर के सहारे ही लोग एक स्थान से दूसरे स्थान जा रहे हैं।
उन लोगों की लौकी, तोरई, भिंडी, कद्दू, लुबिया, परवल, मूली, घुईंयां, खीरा की 400 से ज्यादा बीघा फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। उन लोगों का लाखों रुपये का नुकसान हो गया। तेज धूप में अब पानी से बदबू उठने लगी है, जिससे बीमारी फैलने की आशंका है। जिस स्थान से पानी निकल गया वहां केवल कीचड़ ही फैला पड़ा है।
शाम के समय मच्छरों का प्रकोप हो जाने के कारण कई बच्चों और बड़ों के शरीर पर चकत्ते पड़े हैं। उन लोगों का कहना था कि राष्ट्रीय स्वयं सेव संघ की ओर से मदद के लिए दो ट्रैक्टर और खाने के सामान का वितरण किया गया। लेकिन कोई सरकारी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा न ही मदद की।
सड़कों ने छोड़ा डामर का साथ
गंगा का जलस्तर घटने के बाद से कुछ सड़कें खुलकर दिखने लगी हैं। वहां पर सड़क ने डामर का साथ पूरी तरह से छोड़ दिया है। काफी जगहों पर गिट्टी फैली पड़ी है। इन गांवों में वैसे भी बहुत कम विकास हो पाया था।
खेतों में अभी भी भरा पानी
ग्रामीणों का कहना था कि एक दर्जन गांवों से पानी निकल गया है। लेकिन खेत अभी भी लबालब भरे हुए हैं। कई दिनों से पानी भरा रहने के कारण अब उसमें काई पड़ गई है। किसी प्रकार की कोई घटना न हो इसके लिए बच्चों को घरों में कैद करके रखा गया है। किसानों के पंप सेट डूबे पड़े हैं।
क्या बोले ग्रामीण :
बाढ़ ने उनकी चार तरह की फसल पूरी तरह से बर्बाद करके रख दी। इतना नुकसान होने से परेशानी बढ़ गई। जिला प्रशासन को उन लोगों की मदद करनी चाहिए। -दीपक निषाद, चैनपुरवा
उनकी 35 बीघा फसल बर्बाद हुई है, पूरा परिवार दिन रात करके फसल में जुटा हुआ था, लेकिन एक बाढ़ के झटके ने भारी नुकसान कर दिया। बाढ़ का दंश हर बार झेलना पड़ता है। -पीयूष निषाद, देवनीपुरवा
हम लोगन की तो पीढ़ी हुई गईं, बाढ़ देखत देखत। हर बार की तरह इस बार भी बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन कोई जिम्मेदार अभी तक झांकने नहीं पहुंचा। -शंकरलाल, घारमखेड़ा
इस बाढ़ ने दो सैकड़ा परिवारों को परेशानी में डाल दिया। जलस्तर घटा है, लेकिन अब अन्य समस्या पैदा होना शुरू हो गईं हैं। अगर और पानी छोड़ा जाएगा तो हो सकता है, और मुसीबत बढ़े। -संतलाल, चैनपुरवा