लखनऊ में ई-रिक्शा के पंजीयन पर रोक लगाने की मांग

ऑटो रिक्शा संयुक्त मोर्चा ने आरटीओ, डीएम से मिलकर सौंपा पत्र

लखनऊ में ई-रिक्शा के पंजीयन पर रोक लगाने की मांग

लखनऊ, अमृत विचार। शहर में तेजी से बढ़ रहे ई- रिक्शा, ई- आटो की संख्या पर अंकुश लगाने को लेकर टैम्पो-टैक्सी,ऑटोरिक्शा संयुक्त मोर्चा ने लखनऊ में ई- रिक्शा पंजीयन पर अविलंब रोक लगाने मांग की है। रोजाना घंटो यातायात जाम,अतिक्रमण,दुर्घटनाओं में इजाफा इसका मुख्य वजह बताया गया है। ऑटो रिक्शा संयुक्त मोर्चा ने मंगलवार को इस संबध में आरटीओ, डीएम से मिलकर पत्र सौंपा है।

ऑटो रिक्शा संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार व सम्भागीय परिवहन अधिकारी संजय तिवारी की मांग पत्र देकर शहर में ई-रिक्शा के पंजीयन पर अविलम्ब रोक लगाने और ई-ऑटो की संख्या निर्धारित किये जाने मांग की।

पदाधिकारियों ने डीएम को बताया कि लखनऊ जनपद की लगभग 50 लाख की आबादी के सापेक्ष 55000 ई-रिक्शा, 8500 ई-ऑटो के अलावा लगभग 42000 नगर बसे, सीएनजी ऑटो,टैम्पो, चौपहिया टैक्सी व बाइक टैक्सी सवारी वाहन के रुप में संचालित हो रहे हैं।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ई-कार्ट और ई-रिक्शा की बनाई गई नीति में इन वाहनों को परमिट से मुक्त रखा गया है। इसी वजह से लखनऊ में 55000 से अधिक ई-रिक्शा व 8500 ई-ऑटो पंजीकृत हो जाने के बावजूद धड़ल्ले से ई-रिक्शा,ई-ऑटो का पंजीकरण लगातार जारी है। अपनी भारी संख्या के कारण ई-रिक्शा लखनऊ जनपद में यातायात जाम और अतिक्रमण का मुख्य कारण बन गए है। लखनऊ की सड़कें भी इतने अधिक ई-रिक्शा का भार ढो पाने में सक्षम नहीं है। लखनऊ जनपद में ई-रिक्शा के कारण यातायात कराह रहा है। अगर अविलम्ब ई-रिक्शा के पंजीकरण पर रोक और ई-ऑटो की संख्या निर्धारित नही की गई तो लखनऊ जनपद का यातायात पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा। पदाधिकारियों ने वाराणसी, मथुरा-वृंदावन, आगरा, ऋषिकेश, देहरादून शहरो में ई-रिक्शा के पंजीयन पर अस्थाई रोक लगाने का हवाला दिया । प्रतिनिधि मंडल ने आरटीओ को बताया कि ई-रिक्शा ई-आटो बहुत ही कम पैसे में फाइनेंस हो जाते है इसलिए भी ई-रिक्शा ई-आटो की संख्या बेतहाशा बढ़ती जा रही है। उदाहरण के लिए वर्तमान में फाइनेंस कंपनियां मात्र रू 5000/- 11000/- में आसानी से ई-रिक्शा ई-ऑटो फाइनेंस कर रही है। भारत सरकार की इलेक्ट्रिक वाहनों की नीति में ई-वाहनों को परमिट से पूरी तरह मुक्त रखा गया है इसी वजह प्रति माह हज़ारो ई-रिक्शा व सैकड़ो ई-आटो का पंजीकरण हो रहा है। ई-रिक्शा अपनी धीमी गति के कारण यातायात को बुरी तरह बाधित करते हैं। धीमी गति से चलने की वजह से जो भी वाहन इसके पीछे होते हैं तो उसे भी 15 से 20 किलोमीटर की गति से ही चलना पड़ता है। जिसके वजह से यातायात जाम लगता है। 

इसके अलावा मोर्चा ने प्रमुख सचिव परिवहन, परिवहन आयुक्त, पुलिस आयुक्त लखनऊ पुलिस कमिश्ननरेट,मंडलायुक्त लखनऊ मंडल,नगर आयुक्त नगर निगम, उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण, मुख्य अभियंता लोक निर्माण मध्य क्षेत्र लखनऊ को भी स्पीड पोस्ट के माध्यम से मांग पत्र भेजा हैं। अधिकारियों से की गई मुलाकात के दौरान संयुक्त मोर्चा के पंकज दीक्षित(अध्यक्ष), राजेश राज(महामंत्री), किशोर वर्मा पहलवान(उपाध्यक्ष), राघवेंद्र सिंह(संगठन मंत्री) मौजूद रहे ।

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