बरेली : चमत्कार..! दूध उत्पादन चौथाई भी नहीं फिर भी सबकी जरूरत पूरी

बरेली दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के आंकड़े कर रहे हैं बड़े पैमाने पर मिलावटी और सिंथेटिक दूध की सप्लाई की ओर इशारा

बरेली : चमत्कार..! दूध उत्पादन चौथाई भी नहीं फिर भी सबकी जरूरत पूरी

बरेली, अमृत विचार। आंकड़े बता रहे हैं कि बरेली मंडल में दूध का उत्पादन जरूरत की तुलना में एक चौथाई भी नहीं है, फिर सभी की जरूरत पूरी हो रही है। मंडल में दूध उत्पादन में बरेली दुग्ध उत्पादक संघ की प्रमुख हिस्सेदारी है, लेकिन उसका यह हिस्सा सिर्फ 27927 लीटर का ही है। बड़े पैमाने पर पराग, मदर डेयरी और प्रीमियम जैसी कंपनियां जरूरत पूरी कर रही हैं लेकिन मंडल की आबादी देखते हुए उनकी ओर से की जा रही सप्लाई भी काफी कम है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि चाय-दूध की जरूरत पूरी होने के साथ हजारों मिठाई की दुकानें और आइस्क्रीम फैक्ट्रियां कैसे चल रही हैं।

मंडल के चारों जिलों में आबादी और दूध उत्पादन के आंकड़ों में जमीन और आसमान जैसा अंतर है। बरेली जिले में ही 55 लाख से ज्यादा आबादी है, लेकिन शुद्ध दूध की खपत तीन-चार लाख लीटर भी नहीं है। बरेली दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की अगस्त की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे जिले में दूध का दैनिक औसत उपार्जन सिर्फ 6902 लीटर था। इसके अलावा करीब ढाई लाख लीटर दूध अलग-अलग कंपनियां जिले में सप्लाई करती हैं। एक लाख लीटर घरेलू उत्पादन भी मान लिया जाए तो कुल उत्पादन का आंकड़ा चार लाख लीटर तक भी नहीं पहुंचता। जाहिर है कि जिले की आबादी में जिस दूध की खपत हो रही है, उसे शुद्ध नहीं माना जा सकता।

बदायूं जिले की आबादी 50 लाख से ज्यादा है और वहां भी दूध के उत्पादन और खपत के आंकड़े बरेली जैसे ही हैं। इसी तरह शाहजहांपुर में 44 लाख और पीलीभीत की 25 लाख की आबादी का काम चल रहा है। दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की रिपोर्ट के मुताबिक वह शाहजहांपुर में 5523 लीटर और बदायूं में 15485 लीटर दूध रोज इकट्ठा कर रहा है। बरेली में 8523, शाहजहांपुर में 8580, बदायूं में 8500 और पीलीभीत में 350 लोग दुग्ध समितियों से जुड़े हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि पराग संघ के जरिए बरेली में रोज का दुग्ध विक्रय औसत 12051 लीटर, शाहजहांपुर में 1531 लीटर, बदायूं में 332 लीटर और पीलीभीत में 336 लीटर रहा है। मंडल में कुल मिलाकर 633 दुग्ध समितियां हैं, लेकिन इसमें से 242 दुग्ध समितियां बंद पड़ी हैं। हालांकि, दुग्ध संघ के अधिकारियों का कहना है कि समितियों से जुड़े लोग दूध का उत्पादन ज्यादा कर रहे हैं। संघ अपनी खपत के अनुसार ही उनसे दूध लेता है, लेकिन यह भी मानते हैं कि दूध के उत्पादन और खपत में बहुत बड़ा अंतर है।

दुग्ध उत्पादन की कई योजनाओं के बाद भी ये हाल
यूपी को दूध उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य माना जाता है। लोगों को उच्च गुणवत्ता के दूध और दुग्ध उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दूध की गुणवत्ता की जांच और दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य-प्रजनन के संबंध में जागरूकता की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। नंद बाबा दुग्ध मिशन के उद्देश्य पूरे करने के लिए मिलावट की शिकायतों के निवारण, दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य को दुरुस्त करने और पशुपालओं के हित के दृष्टिगत अपमिश्रण परीक्षण किट और पशु स्वास्थ्य परीक्षण के लिए पशु स्वास्थ्य एवं दुग्ध गुणवत्ता परीक्षण किट योजना 23 नवंबर 2023 में लागू की गई थी। नंद बाबा दुग्ध मिशन के जरिए मुख्यमंत्री स्वदेशी गो संवर्धन और नंदिनी कृषक समृद्धि जैसी योजनाएं भी लागू हैं, जिनके जरिए सरकार दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने देने और उत्पादन से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को समृद्ध बनाने का प्रयास कर रही है।

पीलीभीत में सिर्फ 17 लीटर दूध का उपार्जन
बरेली दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की अगस्त की रिपोर्ट के मुताबिक पीलीभीत में सिर्फ 17 लीटर दूध का उपार्जन हो रहा है, जबकि बिक्री का आंकड़ा रोज का 336 लीटर बताया गया है। रिपोर्ट में इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं दिया गया है कि पीलीभीत जिले में 350 सदस्य दुग्ध समितियों से जुड़े होने के बाद भी सिर्फ 17 लीटर उपार्जन क्यों हो रहा है। जिले में कार्यरत समितियों की संख्या भी सिर्फ आठ बताई गई है।

दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के जरिए समितियों के सदस्यों से रोज औसतन 27-28 हजार लीटर दूध ही उपार्जित किया जा रहा है, उत्पादन इससे ज्यादा हो रहा है। सहकारी संघ हजारों लीटर दूध मदर डेयरी को भी सप्लाई करता है। मंडल में दूध सप्लाई की जानकारी नहीं है, लेकिन बरेली शहर में निजी कंपनियां करीब 3 लाख लीटर दूध सप्लाई करती हैं। -एपी सिंह, उप निदेशक, दुग्ध विकास विभाग बरेली