लखनऊ: 2 अक्टूबर को सत्याग्रह का संकल्प लेंगे कर्मचारी, गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर होगी आंदोलन की शुरूआत
लखनऊ,अमृत विचार। इण्डियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फडरेशन (IPSEF) के आह्वान पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के सभी घटक दलों ने अहम फैसला लिया है। इससे जुड़े कर्मचारी 2 अक्टूबर को गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सत्याग्रह का संकल्प लेंगे। इसी दिन से एक बड़े आंदोलन की शुरूआत होगी।
दरअसल, आंदोलन के लिए सत्याग्रह का संकल्प लेना ही कर्मचारियों के लिए एक मात्र रास्ता बचा है। कर्मचारियों के मुताबिक उनकी मांगों को सरकार बिलकुल अनसुना कर चुकी है, कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लाखों कर्मचारी हाशिये पर हैं, अधिकारियों की कार्यशैली से समस्या ने और विकराल रूप ले लिया है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्रा एवं महामंत्री अतुल मिश्रा ने आज संवाददाताओं को बताया कि इप्सेफ के आह्वान पर यह कार्यक्रम महात्मा गांधी के सिद्धांतों के अनुरूप होगा। महात्मा गांधी कहते थे के अन्याय के विरुद्ध अहिंसात्मक कार्यक्रम करना धर्म है।
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि यह इप्सेफ का राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम है। आंदोलन क्यों हो रहा है इसका भी कारण है। इप्सेफ 2 वर्षों से लगातार प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर कर्मचारियों की मांग पूरी करने का आग्रह कर रहा है, लेकिन मांग पूरी नहीं हो रही है।
उन्होंने बताया कि जनपद शाखाओं की तरफ से भी अपने-अपने जिले में सत्याग्रह के लिए संकल्प लिया जायेगा। इप्सेफ जो भी आंदोलन घोषित करेगा उसे सफल बनाया जाएगा। भीषण महंगाई से त्रस्त एवं आर्थिक शोषण बेरोजगारी के विरुद्ध आंदोलन के अलावा और कोई उपाय नहीं दिखाई दे रहा है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने 1 जुलाई से महंगाई भत्ते की किस्त का भुगतान करने का आदेश भी जारी नहीं किया है। यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों की समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से कई आदेश दिये गये हैं, लेकिन मंत्रियों और अधिकारियों की अनदेखी कर्मचारियों पर भारी पड़ रही है। मंत्रियों और अधिकारियों ने कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से बैठक करना भी मुनासिब नहीं समझा।
मांग
१-पुरानी पेंशन की पूरी बहाली।
२-एक देश एक वेतन के तहत
३-राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन करना
४-आउटसोर्स/संविदा कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा /न्यूनतम वेतन व नियमित नियुक्तियों में वरीयता देना, रिक्त पदों पर संविदा ठेका आउटसोर्स की जगह नियमित भर्ती करना।
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