Kanpur: किसान बाबू सिंह यादव की आत्महत्या का मामला, मुख्य आरोपी डॉ. प्रियरंजन अंशू दिवाकर बोला- अखिलेश की शह पर मुझे फंसाया गया

पुलिस पर पंचायतनामा, एफएसएल और रेलवे की रिपोर्ट को न शामिल करने का लगाया आरोप

Kanpur: किसान बाबू सिंह यादव की आत्महत्या का मामला, मुख्य आरोपी डॉ. प्रियरंजन अंशू दिवाकर बोला- अखिलेश की शह पर मुझे फंसाया गया

कानपुर, अमृत विचार। चकेरी थानाक्षेत्र में किसान बाबू सिंह यादव की आत्महत्या के मामले में मुख्य आरोपी डॉ प्रियरंजन अंशू दिवाकर ने गंभीर आरोप लगाया कि सपा मुखिया अखिलेश यादव की शह पर उनके नेताओं और पुलिस ने उन्हें मुख्य आरोपी बनाया।

पुलिस ने पंचायतनामा से लेकर पोस्टमार्टम तक खेल किया। सुसाइड नोट की एफएसएल रिपोर्ट और घटना के बाद रेलवे की रिपोर्ट को शामिल ही नहीं किया गया। डॉ प्रियरंजन ने आरोप लगाए कि जमीन को कब्जा करने के लिए पूर्व सांसद राजाराम पाल ने ही पूरा खेल किया है। उन्होंने कहा कि वे अखिलेश यादव के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करायेंगे।

9 सितंबर 2023 को चकेरी में किसान बाबू सिंह यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम सुसाइड नोट लिखकर ट्रेन के आगे लेटकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने सुसाइड नोट में साढ़े छह करोड़ की जमीन को धोखे से साइन कराकर बाल आयोग के सदस्य डा प्रियरंजन अंशू दिवाकर समेत उनके साथियों पर उनकी जमीन हड़पने का आरोप लगाया था। पुलिस ने मामले में अंशू दिवाकर समेत छह लोगों पर मामला दर्ज किया था।

शुक्रवार को डॉ प्रियरंजन अंशू दिवाकर ने प्रेसवार्ता में कहा कि उन्हें जबरन फंसाया जा रहा है। पुलिस की ओर से जबरन उन्हें फंसाने की साजिश रची गई है। सुसाइड नोट की एफएसएल रिपोर्ट में साफ दिया गया है कि सुसाइड नोट में हस्ताक्षर बाबू सिंह के नहीं हैं। इस दो लोगों ने तैयार किया है। उन्होंने कहा कि ये रिपोर्ट तीन जनवरी को ही आ गई थी लेकिन पुलिस ने दस दिन पहले इसे दाखिल किया।

इसके अलावा पंचायतनामा भरने वाले चकेरी थाने के दरोगा राजेश कुमार ने पंचायत नामा में सूचना मिलने का समय 7.36 डाला है और कार्रवाई का समय 7.30 बजे डाला है। पुलिस ने सूचना के पहले कार्रवाई कर दी। इसके अलावा पंचायतनामा में ही सूचना देने वाले कथनानुसार रिपोर्ट का स्वरूप और मृत्यु के कारण के कॉलम को छोड़ दिया गया है।

आरोप लगाया कि घटना के बाद की रेलवे की रिपोर्ट नहीं शामिल की गई। उन्होंने आरटीआई के माध्यम से रिपोर्ट को लिया है जिसमें लिखा है कि मौत अन्य कारण से हुई है। इससे स्पष्ट होता है कि बाबू सिंह ने आत्महत्या नहीं की उनकी हत्या की गई है। पोस्टमार्टम में भी उन्होंने आरोप लगाया है कि विसरा नहीं लिया गया और न मृतक का ब्लड सैंपल लिया गया। गंभीर आरोप लगाया कि सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनके कुछ नेताओं व पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से उन्हें मामले में फंसाया जा रहा है।

प्रियरंजन का कहना था कि सपा मुखिया अखिलेश की शह पर उनके नेताओं और तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें मुकदमे में फंसाया है। उन्होंने साक्ष्यों के साथ पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार से शिकायत की है। आरोप लगाया कि राजाराम पाल समेत नरेन्द्र यादव उनकी पत्नी विजय लक्ष्मी और बेटे दीपक यादव ने साजिशन बाबू सिंह की जमीन हड़पी है। 

साक्ष्य दिखाने पर वापस हुआ 1 लाख का इनाम

डॉ. प्रियरंजन ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सीएमएम कोर्ट में झूठे साक्ष्य प्रस्तुत कर उनके खिलाफ धारा 82 की कार्रवाई और एक लाख का इनाम घोषित किये जाने का आदेश लिया था। लेकिन जब उनके अधिवक्ता अभय गौड़ साक्ष्य प्रस्तुत किए तो कोर्ट ने इनाम का आदेश वापस लिया।

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