प्रयागराज: दहेज हत्या सिद्ध करने के लिए शव की आवश्यकता नहीं

प्रयागराज: दहेज हत्या सिद्ध करने के लिए शव की आवश्यकता नहीं

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज हत्या के एक मामले में आरोप पत्र और समन आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि दहेज हत्या मामलों में शव की अनुपस्थिति आरोपी को बरी करने का अधिकार नहीं देती है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि अपराध को सिद्ध करने में पुलिस की विफलता अभियोजन पक्ष के मामले को संदिग्ध बना देती है, जिससे आरोपी को संदेह के लाभ पर बरी होने का अधिकार मिल जाता है।

कोर्ट ने आगे कहा कि एक पुराने 'शरीर' सिद्धांत का अंधाधुंध पालन कई जघन्य हत्यारों के लिए दंड से बच निकलने का रास्ता खोल देता है, क्योंकि वह अपने शिकार के शरीर को नष्ट करने के लिए काफी चालाक और चतुराई से काम करते हैं। कोर्ट ने वर्तमान मामले की परिस्थितियों पर विचार करते हुए पाया कि भले ही शव बरामद न हो, लेकिन दहेज हत्या को साबित करने के लिए अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य को पर्याप्त समझा जाएगा। शिकायतकर्ता के इस दावे को भी स्वीकार किया गया कि याचियों ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी करने के लिए मामले को गुमशुदा व्यक्ति के परिदृश्य के रूप में चित्रित करके शुरू में जांच को गुमराह किया।

अंत में कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र और समन आदेश को रद्द करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दाखिल आवेदन को खारिज कर दिया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने मृत्युंजय तिवारी और छह अन्य की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। मामले के अनुसार याची ने वर्ष 2014 में मंजू तिवारी से शादी की और वर्ष 2016 में मंजू कथित तौर पर अपने वैवाहिक घर से लापता हो गई। इसके बाद शिकायतकर्ता यानी मंजू के पिता ने जनवरी 2017 को सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत एक आवेदन दाखिल किया। मजिस्ट्रेट के आदेश पर याचियों के विरुद्ध आईपीसी और दहेज उत्पीड़न की विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन कोतवाली पडरौना, कुशीनगर में मुकदमा पंजीकृत किया गया। जिसमें आरोप लगाया गया कि उनकी बेटी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई थी और उसके शव को आरोपियों ने कहीं छिपा दिया है। हाईकोर्ट के समक्ष यह मुद्दा था कि क्या मृतक के शव की अनुपस्थिति आरोपियों के खिलाफ दहेज हत्या के आरोपों को अमान्य बनाती है, जिस पर विचार करते हुए कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि दहेज मामलों में साक्ष्य ही पर्याप्त है। ऐसे मामलों में हत्या सिद्ध करने के लिए शव की जरूरत नहीं है।

यह भी पढ़ें: राम मंदिर आंदोलन में बलिदान हुए कोठारी बंधु की बहन का छलका दर्द, कहा- मेरे दोनों भाइयों की आत्मा को शांति नहीं...

ताजा समाचार

देहरादून: 400 मजदूर जुटे गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग ठीक करने में, 16 स्थानों पर पूरी तरह से वॉशआउट हो चुका है मार्ग
BJP और विपक्षी दलों से डगमगा रहा है जनता का विश्वास, बोलीं मायावती- UP विस उपचुनाव में बसपा के लिये मौका
लखीमपुर खीरी: घर के अंदर घुसकर युवक के सिर पर बांके से किया हमला
लखीमपुर खीरी: पंचायत भवन से कंप्यूटर चोरी, सहायक की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज
Health Tips: हाइपरटेंशन की दवाओं से हो रहे दूसरे मर्ज, मरीजों के लिवर व किडनी में बढ़ी इंफेक्शन और सूजन की समस्या
हरियाणा चुनाव: अग्निवीरों को सरकारी नौकरी, MSP पर 24 फसलें खरीदने का वादा, BJP ने जारी किया घोषणापत्र