जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में होगा Kanpur का पहला आईबैंक, निर्माण शुरू, इतने रुपये में बनकर होगा तैयार

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में होगा Kanpur का पहला आईबैंक, निर्माण शुरू, इतने रुपये में बनकर होगा तैयार

कानपुर, अमृत विचार। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में कानपुर के पहले आई बैंक का निर्माण शुरू हो गया है। बुधवार को आई बैंक के लिए चिन्हित जगह पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, हैलट के प्रमुख अधीक्षक, नेत्र रोग विभागाध्यक्ष व विधायक निलिमा कटियार ने भूमिपूजन कर निर्माण कार्य की शुरुआत कराई। 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हैलट अस्पताल के नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन सौ मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। इनमे कुछ ऐसे मरीज भी शामिल रहते है, जिनको एक आंख या दोनों आंख से दिखाई देने में दिक्कत होती है। 

कार्निया की कमी की वजह से सभी मरीजों की आंखों की रोशनी लौटा पाना डॉक्टरों के लिए संभव नहीं होता क्योंकि अभी नेत्र रोग विभाग के आई बैंक में 50 कर्निया ही सुरक्षित रखने की व्यवस्था है। जबकि प्रतिमाह सौ या इससे अधिक मरीजों के आवेदन आते है। 

प्रतिमाह सिर्फ 20 से 25 कार्निया ही दान के माध्यम से आती हैं, जिनको अभी सिर्फ चार दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। अब आई बैंक बनने से यहां करीब 400 कार्निया 14 से 15 दिनों तक सुरक्षित रखी जा सकेंगी। यह आई बैंक बुधवार को नेत्र रोग वार्ड के बगल में बनना शुरू हुआ है, जिसकी लागत करीब 40 लाख रुपये है। 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.संजय काला, हैलट के प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरके सिंह, नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ.शालिनी मोहन, विधायक निलिमा कटियार, डॉ.प्रीति सिंह, डॉ.सुरभि अग्रवाल व डॉ.नम्रता ने भूमिपूजन किया। इस दौरान सीएमएस डॉ.एनसी त्रिपाठी, डॉ.परवेज खान, डॉ.रेनू गुप्ता, डॉ.संतोष बर्मन, डॉ.अनुराग राजौरिया समेत आदि डॉक्टर मौजूद रहे। 

दो मंजिला होगा आई बैंक, बनेंगी चार तरह की लैब 

विभागाध्यक्ष डॉ.शालिनी मोहन ने बताया कि स्मार्ट सिटी के द्वारा प्राप्त धनराशि जो मंडलायुक्त के सहयोग से प्राप्त हुई, उससे आई बैंक का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, यूपीपीसीएल की इकाई जल्द ही कार्य पूरा करने के लिए संकल्प बद्ध है। आई बैंक में एक प्रभारी, चार आई डोनेशन काउंसलर, चार लैब टेक्शियन आदि पद शामिल हैं।

बैंक में चार लैब होंगी, एक हॉल में छात्र-छात्रों को ट्रेनिंग दी जाएगी। आई बैंक के संबंध में अमेरिका के साइड सेवर संस्था के सदस्यों से भी वार्ता होनी है। आधुनिक टैम्प्रेचर कंट्रोल रेफ्रीजरेटर समेत कई मशीनें लगाई जाएंगी, जिससे कार्निया को 14 से 15 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकेगा।

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