प्रयागराज : सरफेसी अधिनियम और गैंगस्टर एक्ट के बीच कोई ओवरलैपिंग नहीं
अमृत विचार, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उधारकर्ताओं से वसूली के लिए अधिनियमित दो अधिनियमों के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि सरफेसी अधिनियम, 2002 और उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एवं सामाजिक गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, 1986 के बीच ओवरलैपिंग नहीं है। दोनों अधिनियम अलग-अलग क्षेत्र में काम करते हैं और संविधान की विभिन्न सूचियों के तहत अधिनियमित किया गए हैं।
अधिनियम 2002 का उद्देश्य बैंकों और वित्तीय संस्थानों सहित ऋणदाताओं का बकाया बिना किसी बाधा और अदालतों या न्यायाधिकरणों के हस्तक्षेप के उधारकर्ताओं से वसूल करना है, जबकि गैंगस्टर अधिनियम का उद्देश्य बड़े अपराधियों को दंडित करने के लिए एक त्वरित और पारदर्शी प्रक्रिया प्रदान करना है। जिसके तहत अपराधियों की संपत्ति और अपराध के माध्यम से उनके द्वारा अर्जित आकस्मिक लाभों के संबंध में एक कुशल वसूली प्रणाली स्थापित करना है।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने कैनफिन होम्स लिमिटेड और एक अन्य की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। याचिका में उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट की धारा 14 (1) के तहत मामले में कुर्की के आदेश को रद्द करने के लिए रिट जारी करने की मांग की गई थी, क्योंकि यह उधारकर्ता की संपत्ति से संबंधित है।
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