हल्द्वानी: जमीनों के पेच में पहाड़ों में मंडियों के  निर्माण पर लगा अड़ंगा

हल्द्वानी: जमीनों के पेच में पहाड़ों में मंडियों के  निर्माण पर लगा अड़ंगा

रजनी मेहता, हल्द्वानी, अमृत विचार। नैनीताल जिले में भूमि नहीं मिलने से पहाड़ों में नई मंडियों का निर्माण  शुरू नहीं हो पा रहा है। एक साल की कवायद के बाद भी मंडी समिति को अब तक कालाढूंगी, रामगढ़ और धारी में मंडी निर्माण के लिए जमीन नहीं मिल सकी है। ऐसे में किसानों को पर्वतीय क्षेत्र में मंडी की सुविधा मिल पाने की राह और मुश्किल होती नजर आ रही है। 

कृषि मंत्री गणेश जोशी की घोषणा के बाद किसानों को पहाड़ों में स्थानीय स्तर स्तर पर मंडी मिलने की उम्मीद जगी थी लेकिन जमीन के अडंगे ने इस भरोसे को डगमगा दिया है। फलों के बागान होने के कारण रामगढ़, धारी और कालाढूंगी में किसानों को हर साल फल-सब्जी के सीजन में फसल को मंडी पहुंचाने के लिए गांवों से दोगुनी कीमत चुकाकर ट्रकों के माध्यम हल्द्वानी मंडी पहुंचना पड़ता है। ऐसे में सड़कों के क्षतिग्रस्त होने या रास्ता बंद होने पर फसल सड़ने और फसल के लिए व्यापारी नहीं मिलने पर अक्सर किसानों को लाला और बनियों निर्भर होना पड़ता है। इसके लिए उन्हें अपनी अच्छी फसल देकर भी कई बार घाटा खाना पड़ता है।

वहीं फसल को मंडी तक पहुंचाने के लिए हर बार हजारों खर्च करने पड़ते हैं। किसानों के अनुसार पहाड़ों में मंडी बनाने के लिए प्रयास तेजी से होने चाहिए जिससे उन्हें फसल को भेजने और बेचने के लिए परिवहन और व्यापारी नहीं मिलने जैसी समस्याओं से निजात मिल पाएगा। लगभग एक साल पहले मंडी समिति ने इसके लिए कवायद शुरू की। कालाढूंगी, रामगढ़ और धारी में मंडी बनाए जाने के लिए जमीन की तलाश शुरू की गई।

इसके लिए राजस्व विभाग को भी पत्र जारी किए गए है, लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी जमीन मिलने का कोई भी रास्ता तय नहीं हो पाया है। इसके चलते मंडी तक फसल पहुंचाने के लिए किसानों की व्यथा और आर्थिक संकट का समाधान नहीं हो पा रहा है। 

किसानों को हल्द्वानी में सब्जी-फल पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट का खर्चा दोगुना वहन करना पड़ता है। मंडी पहाड़ों में होती तो किसान तक व्यापारी आसानी से पहुंचते। सरकार को इस तरफ प्रयास करने चाहिए। - आनंद सिंह, किसान। 

पहाड़ में मंडी बनाने को लेकर सरकार की इच्छाशक्ति नहीं है। किसानों को सुविधा देने के मनसूबे नहीं हैं। पहाड़ों की जमीन बाहरी लोगों को पनाह देकर ऐशगाह बनाने में सरकार व्यवस्त है।-  देवेंद्र सिंह, काश्तकार।


हल्द्वानी तक लाने में किसानों को लागत और पैदावार से अधिक मूल्य देकर लालाओं भरोसे फसल भेजनी पड़ती है। पहाड़ों में मंडी होने से सीधे किसान व्यापारियों से मोल-भाव कर पाएगा।- तारा सिंह, काश्तकार। 

 
मंडी के लिए जमीन नहीं मिल पाने से समस्या बनी हुई है। नि:शुल्क जमीन के लिए राजस्व विभाग से कहा गया है। जमीन मिलने के बाद ही मंडी का निर्माण शुरू होगा। - दिग्विजय सिंह देव, सचिव मंडी समिति हल्द्वानी।
    
सरकारी भूमि नहीं मिल पा रही है। जमीन के लिए बातचीत चल रही है। चिन्हित जमीनें वन विभाग और पंचायत की हैं। इसके लिए वन विभाग से पत्राचार भी किया गया है लेकिन कोई जवाब नहीं मिल पाया है। शासन स्तर पर भी प्रयास किया जा रहा है। - राम सिंह कैड़ा, विधायक भीमताल विधानसभा क्षेत्र

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