प्रयागराज: गंगा-यमुना के बढ़े जलस्तर ने तटवर्ती गांवों में रहने वाले लोगों की बढ़ाई बेचैनी
पहाड़ से जमीन पर बरसी आफत तो नदियां उफनाई, बढ़ रहा जलस्तर
झूंसी/ प्रयागराज, अमृत विचार। पहाड़ से बरसी आफत और विभिन्न टेनरियों व बांध से छोड़े गए पानी के बाद गंगा-यमुना अब कहर बरपाने को तैयार हैं। मंगलवार की देर शाम को गंगा और यमुना के बढ़ते जलस्तर ने गंगातट के किनारे बसने वाले लोगों की बेचैनी बढ़ा दी है। लोगों की रात की नींद उड़ी हुई है। जलस्तर के बढ़ने का सिलसिला अगर ऐसे ही जारी रहा तो झूंसी के तटवर्ती इलाकों में बने आश्रम और मकानों में बाढ़ का पानी 48 घंटे के भीतर दाखिल हो सकता है। गंगा-यमुना के जलस्तर बढऩे का क्रम मंगलवार की देर रात तक तेजी से जारी रहा। इससे नई तथा पुरानी झूंसी में गंगातट के किनारे पक्का मकान बनाकर रहने वाले लोग सचेत हो गए हैं।
बरसात के मौसम में हर साल गंगा और यमुना का जलस्तर बढऩे पर झूंसी के तटवर्ती इलाकों के साथ ही कछार के आधा दर्जन गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं। किनारे पर बसे लोगों को कुछ रोज के लिए ही सही घर से बेघर होना पड़ता है। पिछले दिनों पहाड़ पर हुई मूसलाधार बारिश और वहां से पानी छोड़े जाने का असर मैदानी इलाकों में भी दिखने लगा है। बारिश के पानी से गंगा-यमुना के जलस्तर में रोजाना बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। मंगलवार की देर रात तक गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता रहा। इससे तटवर्ती गांवों के लोग सकते में हैं। नई और पुरानी झूंसी के तटवर्ती बस्ती के लोगों की बेचैनी बढ़ने लगी है। झूंसी कोहना और नई झूंसी में गंगातट के किनारे स्थित आश्रम व मकान में बाढ़ का पानी तकरीबन हर साल दाखिल हो जाता है।
निचली मंजिल का हिस्सा बाढ़ की चपेट में आने पर लोग मकान के ऊपरी मंजिल में ठिकाना बनाने को मजबूर हो जाते हैं। गंगा का जलस्तर बढ़ा तो कछारी गांव बदरा-सोनौटी, ढोलबजवा, हेतापट्ïटी, नीबी-भत्कार, ककरा, कोटवां, दुबावल समेत एक दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जलस्तर बढ़ता रहा तो गांव के भीतर पानी दाखिल हो जाएगा। जलभराव से हर साल बदरा-सोनौटी होकर आधा दर्जन गांवों की ओर जाने वाला मार्ग पर कई दिनों तक आवागमन ठप पड़ जाता है। ग्रामीण आने-जाने के लिए नावों का सहारा लेते हैं। इस विभीषिका की चपेट में आने से तटवर्ती लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। बढ़ते दबाव व कटान से भी ग्रामीण भयभीत हैं।
पिछले साल बाढ़ ने मचाई थी तबाही
गंगा-यमुना के बढ़ते जलस्तर से झूंसी के एक दर्जन कछारी गांवों पर भी बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। पिछले साल बाढ़ ने प्रभावित गांवों में जमकर तबाही मचाई थी। ग्रामीणों के मेहनत की कमाई से तैयार किया गया आशियाना पल भर में ही बाढ़ ने ढहा दिया था। यही वजह है कि बरसात के मौसम में तटवर्ती गांव के ग्रामीण सुरक्षित ठिकानों पर चले जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जलस्तर के बढ़ने का क्रम जारी रहा तो भारी तबाही से इंकार नहीं किया जा सकता है।
महाकुंभ के लिए तैयार हो रहे करोड़ों के घाट और एसटीपी भी बाढ़ में डूबे
महाकुंभ के लिए तैयार किए जा रहे करोड़़ो के स्नान घाट और एसटीपी भी बाढ़ की चपेट में आकर डूब गए हैँ। पिछले कुंभ के दौरान छतनाग गांव में करोड़ों रूपये की लागत से तैयार किए गए दो पक्के स्नान घाट भी बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। कुंभ मेले के बजट से झूंसी के छतनाग गांव में श्मशान घाट के पास और नागेश्वर मंदिर के सामने स्नान घाट तैयार किया गया था। मेले के दौरान विभिन्न जिलों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने यहां पुण्य की डुबकी लगाई थी। इसके साथ ही आगामी महाकुंभ के लिए तैयार किए जा रहे स्नान घाट भी बाढ़ में डूब गए हैं। छतनाग श्मशान घाट के डूबने से शवों का अंतिम संस्कार करने में भी भारी दिक्कत हो रही है। अब श्मशान घाट पर बनी बारादरी में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
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