बरेली: अंडे व मांस से जुड़ी भ्रांतियाें को लेकर जागरूक करेगा केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, तैयार की रिपोर्ट

बरेली: अंडे व मांस से जुड़ी भ्रांतियाें को लेकर जागरूक करेगा केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, तैयार की रिपोर्ट

बरेली, अमृत विचार। केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान ने अंडे और मांस के विषय में फैली भ्रांतियाें को लेकर लोगों को जागरूक करने का निर्णय लिया है। संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से इस विषय में रिपोर्ट तैयार की गई है। निदेशक डॉ. एके तिवारी ने बताया कि अक्सर प्रशिक्षणों व शिविरों में लोगों द्वारा तमाम सवाल इस संबंध में किए जाते हैं। संस्थान अब उनके संशयों को अपनी रिपोर्ट के माध्यम से दूर करेगा।

डॉ. तिवारी के अनुसार एक मिथ है कि अंडा मांसाहारी है और शाकाहारी लोग इसका सेवन नहीं कर सकते। सच्चाई यह है कि अंडे दो प्रकार के होते हैं। एक उपजाऊ अंडा, जिसमें भ्रूण होता है और दूसरा बांझ/टेबल अंडा, जिसमें कोई भ्रूण नहीं होता है। उन्होंने बताया कि सुपरमार्केट, रेस्तरां आदि में अधिकांश बांझ अंडे उपलब्ध होते हैं। उनमें कोई भ्रूण या चूजा नहीं होता। ये अंडे दूध के समान माने जाते हैं। दूध में भी अंडे की तरह ही पशु कोशिकाएं होती हैं। उपजाऊ अंडे उपयोग के लिए बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। वे केवल चूजों को सेने के लिए उपयोग किए जाते हैं। 

उन्होंने बताया कि एक और भ्रांति बनी हुई है कि अंडों में मिलावट की जाती है और उनमें हानिकारक पदार्थ डाले जाते हैं। सच्चाई यह है कि अंडा एकमात्र ऐसा भोजन है, जिसमें मिलावट नहीं की जा सकती है। भ्रांति है कि ब्रॉयलर मुर्गियां रसायनों और एंटीबायोटिक्स के साथ तेजी से तैयार की जाती हैं इसलिए हानिकारक होती हैं, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा नहीं है। मुर्गियों को एंटीबायोटिक दवाओं के लगातार उपयोग के बिना पाला जाता है। केवल इसका उपयोग रोग फैलने के दौरान चिकित्सीय रूप से किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें -लखनऊः अब सहारनपुर का आम चखेंगे लंदन और मास्को के लोग, पैक होंगे आम