Kanpur: उमस भरी गर्मी में लोग हो रहे वायरल फीवर से बीमार, पेट के बढ़े मरीज, नाक व गले में हो रही एलर्जी, फेफड़ों में उतर रहा संक्रमण
कानपुर, अमृत विचार। उमस भरी गर्मी की वजह से लोग वायरल की चपेट में आकर बीमार हो रहे हैं। नाक व गले में एलर्जी होने के साथ ही कुछ मरीजों के फेफड़ों में भी संक्रमण देखने को मिल रहा है। यह वायरल संक्रमण गुर्दा, लिवर, कैंसर, अस्थमा और सीओपीडी के रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में एहतियात जरूरी है। हैलट अस्पताल में मेडिसिन विभाग की ओपीडी में गुरुवार को करीब 400 मरीज इलाज कराने को पहुंचे, जिनमें अधिकांश मरीज वायरल बुखार, खांसी, जुकाम, सीने व गले में दर्द, खराश, नाक व गले में एजर्ली और पेट संबंधित रोगों से ग्रस्त रहे।
इनमें बच्चे, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी वर्ग के मरीज शामिल हैं। मेडिसिन विभाग के प्रो. बीपी प्रियदर्शी के मुताबिक शरीर का सामान्य तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस होता है। अलग-अलग तापमान में पसीना शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है। शरीर से पसीना निकलकर भाप बनते हुए अपने साथ गर्मी भी लेकर उड़ जाता है। ये प्रक्रिया रेगिस्तानों में बिल्कुल ठीक ढंग से काम करती है।
लेकिन उमस वाली जगहों पर ये प्रक्रिया मानव शरीर में ठीक ढंग से काम नहीं करती है। क्योंकि हवा में पहले से इतनी नमी होती है कि वह इस प्रक्रिया में पसीने को भाप के रूप में उढ़ा नहीं पाती। ऐसे में अगर उमस बढ़ती है और तापमान 35 डिग्री सेल्सियस या इससे ऊपर होता है तो पसीने के भाप बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और गर्मी झेलने की क्षमता पर असर पड़ता है।
कुछ गंभीर मामलों में यह प्रक्रिया पूरी तरह रुक भी जाती है, ऐसे में व्यक्ति को एयर कंडीशन वाले कमरे में जाने की अधिक जरूरत होती है। क्योंकि शरीर का अंदरूनी तापमान गर्मी बर्दाश्त करने की सीमा के पार चला जाता है, जिसके बाद कुछ अंग भी काम करना बंद कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में हालत बिगड़ने लगती है और तत्काल उसे इलाज की जरूरत होती है। इमरजेंसी में ऐसे 11 मरीजों को भर्ती किया गया है। वहीं, डायरिया और गैस्ट्रोइंटाइटिस के रोगियों ने जांच भी कराई गई। ऐसे में पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।