बरेली: अनाथालय की जमीन के कागज प्रशासन को दिखाने में आनाकानी कर रही प्रबंध कमेटी

डीपीओ ने कहा- अनाथालय बंद हो चुका है, अब जांच सिर्फ लड़कियों के आरोपों और जमीन की

बरेली: अनाथालय की जमीन के कागज प्रशासन को दिखाने में आनाकानी कर रही प्रबंध कमेटी

बरेली, अमृत विचार। प्रशासन की जांच के साथ आर्य समाज अनाथालय के बारे में नए सवाल खड़े हो रहे हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी का कहना है कि अनाथालय बंद हो चुका है और जांच सिर्फ उसकी जमीन को खुर्दबुर्द करने की कोशिशों और उसमें रह रही लड़कियों के आरोपों की हो रही है, जो अभी पूरी नहीं हो पाई है। उधर, अनाथालय की प्रबंध कमेटी भी साफ कर चुकी है कि वह गुरुकुल खोलने के लिए अनाथालय बंद कर रही है लेकिन गुरुकुल खोलने के लिए फिलहाल उसके पास कोई बजट नहीं है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि बीच शहर अनाथालय की 360 करोड़ की जमीन का आखिर क्या होगा।

आर्य समाज अनाथालय 140 साल पुराना है और उसका नियमावली में साफ लिखा है कि उसे कभी बंद नहीं किया जा सकेगा। इसके बावजूद प्रबंध कमेटी ने उसे बंद करने का एलान कर दिया है और जिला प्रोबेशन अधिकारी यानी डीपीओ मोनिका राणा के मुताबिक उनकी जांच में यह बिंदु भी शामिल नहीं है। डीपीओ ने शुक्रवार को अमृत विचार को बताया कि प्रशासन की जांच सिर्फ अनाथालय में रह रही लड़कियों के प्रबंध कमेटी की ओर से उत्पीड़न के आरोपों और उसकी जमीन पर आधारित है। प्रबंध कमेटी की ओर से जमीन से संबंधित दस्तावेज न दिए जाने की वजह से जांच अभी पूरी नहीं हो पाई है। जल्द ही जांच पूरी कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी जाएगी।

डीपीओ ने बताया कि जहां तक अनाथालय में रह रही लड़कियों के आरोपों का सवाल है, जांच में पाया गया है कि उन्हें वहां फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है। वे सिर्फ इसलिए परेशान हैं कि यहां रह पाएंगी या नहीं। डीपीओ ने बताया कि अनाथालय बंद हो चुका है। लड़कियों के लिए क्या प्रबंध किया जा सकता है, फिलहाल यही देखा जा रहा उन्होंने बताया कि प्रबंध कमेटी के पदाधिकारियों को सोमवार तक जमीन के दस्तावेज दिखाने को कहा गया है।

...तो क्या अंतत: सरकार के कब्जे में चली जाएगी जमीन
आठ साल की बच्ची से छेड़खानी के आरोप में घिरे विवादित प्रधान के नेतृत्व में चल रही अनाथालय की प्रबंध कमेटी गुरुकुल बनाने का दावा तो कर रही है लेकिन इसके लिए न उसके पास कोई पैसा है न कोई योजना। अनाथालय बंद होने के बाद चंदे और दान से कोई पैसा मिलने का रास्ता बंद हो जाएगा। ऐसे में साफ है कि गुरुकुल खोलने का दावा फिलहाल हवा में गांठें लगाने जैसा है। गुरुकुल न खुला तो अनाथालय की शहर के सबसे महत्वपूर्ण इलाके में करीब 42 बीघा जमीन अनुपयोगी हो जाएगी। ऐसे में दो ही रास्ते बचते हैं। एक, प्रबंध कमेटी उसका कोई व्यावसायिक इस्तेमाल करे जो उसके नियमों की वजह से कानूनी तौर पर तो संभव नहीं है। दूसरा, सरकार उसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कब्जे में ले ले।

अनाथालय की जमीन और लड़कियों की शिकायत की गंभीरता से जांच कराई जा रही है जो अंतिम चरण में पहुंच गई है। अनाथालय की जमीन से संबंधित कुछ अहम दस्तावेज जांच अधिकारी ने कमेटी से मांगे हैं। ये दस्तावेज देखने के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी - दिनेश, एडीएम प्रशासन

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