आईआईटी बनाएगा पहला टेली-न्यूरोरिहैबिलिटेशन ऐप...IIT Kanpur और वैश्विक दवा कंपनी बोह्रिंजर में हुई साझेदारी
डिमेंशिया पर शोध और नवाचार के लिए आईआईटी कानपुर और वैश्विक दवा कंपनी बोह्रिंजर में हुई साझेदारी
कानपुर, अमृत विचार। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर ने डिमेंशिया देखभाल के क्षेत्र में शोध और तकनीकी विकास के लिए वैश्विक दवा कंपनी बोह्रिंजर इंगेलहेम के साथ समझौता किया है।
इसके तहत देश का पहला टेली-न्यूरोरिहैबिलिटेशन ऐप विकसित किया जाएगा। समझौता पत्र पर बोह्रिंजर इंगेलहेम इंडिया की टीम के गवर्नमेंट एंड पब्लिक अफेयर्स प्रबंध निदेशक गगनदीप सिंह तथा प्रभारी एसआईआईसी प्रोफेसर अंकुश शर्मा ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान इंगेलहेम इंडिया के कॉर्पोरेट अफेयर्स निदेशक प्रभात सिन्हा मौजूद रहे।
कार्यक्रम में प्रोफेसर अंकुश शर्मा ने कहा कि बोह्रिंजर इंगेलहेम का यह समर्थन स्वस्थ भारत बनाने के हमारे दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा। यह हमें स्टार्टअप समुदाय को सशक्त बनाने, नवाचार और सहयोग के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है। बोह्रिंगर इंगेलहेम डिमेंशिया देखभाल और निदान के लिए भारत का पहला टेली-न्यूरोरिहैबिलिटेशन ऐप विकसित करने में सहायता कर रहा है।
यह ऐप भारत में डिमेंशिया और मानसिक स्वास्थ्य विकारों के बढ़ते बोझ को देखते हुए डॉक्टरों और न्यूरो हेल्थकेयर पेशेवरों को सहायता प्रदान करता है। इससे पहले, साल 2023 में बोह्रिंगर इंगेलहेम ने स्टार्टअप लेनेक टेक्नोलॉजीज को हैंडहेल्ड एक्स-रे डिवाइस के साथ तपेदिक स्क्रीनिंग में सुधार करने में सहायता की थी।
कार्यक्रम में बोह्रिंजर इंगेलहेम इंडिया के प्रबंध निदेशक गगनदीप सिंह बेदी ने कहा कि आईआईटी कानपुर के साथ हमारा दूसरा सहयोग सामूहिक नवाचार की शक्ति में हमारे विश्वास को मजबूत करता है। प्रत्येक नवाचार के साथ हम रोगी देखभाल की संभावनाओं को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं, तथा एक ऐसे भविष्य का लक्ष्य बना रहे हैं, जहां सभी को सर्वोत्तम उपचार और स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त हो सकें।
डिमेंशिया पीड़ितों में भारत चौथे स्थान पर
2019 में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार डिमेंशिया पीड़ितों की संख्या के लिहाज से भारत चौथे स्थान पर है। डिमेंशिया की बढ़ती चुनौती का समाधान नहीं होने से 2050 तक भारत दुनिया में दूसरे नंबर का देश बन सकता है।