Exclusive: मेगा लेदर क्लस्टर मामला: रद होगा अनुसूचित जाति के किसानों से खरीदी भूमि का बैनामा; ग्राम समाज में निहित होगी जमीन

Exclusive: मेगा लेदर क्लस्टर मामला: रद होगा अनुसूचित जाति के किसानों से खरीदी भूमि का बैनामा; ग्राम समाज में निहित होगी जमीन

कानपुर, (शिव प्रकाश मिश्र)। जिलाधिकारी की अनुमति लिए बिना कड़री चंपतपुर, कड़री और सपई गांव में अनुसूचित जाति के लोगों से मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड के लिए खरीदी गई भूमि का बैनामा रद होगा। इस भूमि का मालिकाना हक अब राजस्व विभाग का होगा। खरीदी गई भूमि ग्राम समाज में निहित की जाएगी। बैनामा रद करने की प्रक्रिया सिविल कोर्ट के माध्यम से पूरी कराई जाएगी। यह कार्य राजस्व विभाग करेगा।

रमईपुर के पास स्थापित किए जाने वाले मेगा लेदर क्लस्टर के लिए ग्राम समाज की भूमि और किसानों की भूमि खरीदी गई है। ग्राम समाज की 42.02 हेक्टेयर भूमि का पुनर्ग्रहण उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने कराया था जबकि कंपनी ने  22 हेक्टेयर भूमि किसानों से खरीदी थी। यहां 35.238 हेक्टेयर भूमि ग्राम समाज की सुरक्षित श्रेणी की थी, जिसे लेने के लिए अदला-बदली की प्रक्रिया के तहत इतनी ही भूमि कंपनी को किसी और गांव में देनी थी। 

इसके लिए कंपनी ने कड़री, कड़री चंपतपुर और सपई गांव में अनुसूचित जाति के किसानों से प्रक्रिया का पालन किए बिना भूमि खरीद ली। कंपनी ने अनुसूचित जाति के किसानों की भूमि खरीदने के लिए जिलाधिकारी की अनुमति नहीं ली और एक दर्जन से अधिक किसानों की भूमि का बैनामा करा लिया। मामला सामने आने पर इस भूमि का दाखिल-खारिज करने से तहसीलदार ने मना कर दिया और जिलाधिकारी को एसडीएम के जरिए रिपोर्ट भेजी। 

एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि अब इस भूमि का बैनामा सिविल कोर्ट से रद कराया जाएगा। यह कार्य राजस्व विभाग करेगा। एसडीएम इस भूमि को ग्राम समाज में निहित करने का आदेश देंगे। अब किसी भी सूरत में यह भूमि कंपनी के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं हो सकती है। यदि तहसीलदार न्यायालय से भूमि का दाखिल खारिज किया जाता है और तो इसे अनियमितता माना जाएगा। 

निबंधन विभाग ने नहीं की आपत्ति

अनुसूचित जाति के व्यक्ति की भूमि की रजिस्ट्री करते समय निबंधन विभाग आपत्ति कर सकता था। यह पूछ सकता था कि जिलाधिकारी की अनुमति संबंधी पत्र कहां है, लेकिन इस मामले में यह लापरवाही हुई। नतीजतन बैनामे की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब कंपनी को न सिर्फ लाखों रुपये के देय स्टांप से राजस्व की हानि होगी बल्कि भूमि से मालिकाना हक भी छिन जाएगा। साथ ही मेगा लेदर क्लस्टर की परियोजना को मूर्त रूप दिलाने में भी देरी होगी।

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