बिहार में 15 दिन के भीतर गिरा 10वां पुल, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

बिहार में 15 दिन के भीतर गिरा 10वां पुल, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

पटना। बिहार में बृहस्पतिवार को पुल गिरने की एक और घटना सामने आई है। राज्य में पिछले एक पखवाड़े में पुल ढहने की यह 10वीं घटना है। जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। हालांकि ऐसे में अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।

जिलाधिकारी अमन समीर ने बताया कि ताजा घटना सारण की है, जहां पिछले 24 घंटे के भीतर दो पुल ढह गए। उन्होंने बताया कि 15 वर्ष पूर्व स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा बनाया गया पुल बृहस्पतिवार सुबह गिर गया। घटना में किसी के भी हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। गंडकी नदी पर बनयपुर प्रखंड में स्थित यह छोटा पुल सारण के कई गांवों को पड़ोसी जिला सिवान से जोड़ता था। 

जिलाधिकारी का कहना है कि इस छोटे पुल का निर्माण 15 साल पहले हुआ था। मैं घटनास्थल पर जा रहा हूं। जिला प्रशासन के कुछ अन्य अधिकारी भी वहां पहुंच चुके हैं। पुल गिरने के असल कारणों का फिलहाल पता नहीं लगा है, लेकिन हाल में पुल से गाद निकालने का कार्य शुरू किया गया है।

बुधवार को सारण जिले में जनता बाजार क्षेत्र और लहलादपुर क्षेत्र में कुल दो छोटे पुल ढह गए थे। जिलाधिकारी ने कहा, "इन छोटे पुलों के ढहने का कारण जानने के लिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।" स्थानीय लोगों के अनुसार पिछले कुछ दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण पुल ढहे हैं। सिवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पिछले 16 दिन में 10 पुल ढह गए हैं। 

ताजा घटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से सड़क निर्माण और ग्रामीण कार्य विभाग को राज्य के सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण करने और मरम्मत की जरूरत वाले पुलों को चिन्हित करने का निर्देश देने के एक दिन बाद घटी है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को रखरखाव नीतियों की समीक्षा के लिए बैठक की थी और कहा था कि पथ निर्माण विभाग ने पहले ही अपनी पुल रखरखाव नीति तैयार कर ली है और ग्रामीण कार्य विभाग को जल्द अपनी योजना तैयार करनी चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल कर बिहार सरकार को पुलों का संरचनात्मक ऑडिट कराने तथा एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि उन पुलों की पहचान की जा सके जिन्हें या तो मजबूत किया जा सकता है या जिन्हें गिराया जाना चाहिए।

बिहार के सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पिछले एक पखवाड़े में पुल ढहने की दस घटनाएं सामने आई हैं। लोगों का दावा है कि भारी बारिश की वजह से ये हादसे हुए हैं। अधिवक्ता ब्रजेश सिंह की ओर से दाखिल जनहित याचिका में राज्य के पुलों की सुरक्षा तथा मजबूती को लेकर चिंता व्यक्त की गई है।

याचिका में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित करने के अलावा केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मापदंडों के अनुसार पुलों की निगरानी कराने का भी अनुरोध किया गया है। जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि बिहार भारत में सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित राज्य है। राज्य में बाढ़ से प्रभावित होने वाला कुल क्षेत्रफल 68,800 वर्ग किलोमीटर है जो इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 73.06 प्रतिशत है।

यचिकाकर्ता ने कहा,‘‘ बिहार में पुल गिरने की लगातार हो रही घटनाएं विनाशकारी हैं क्योंकि इससे आम लोगों का जीवन जोखिम में है। लोगों की जान बचाने के लिए न्यायालय के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, क्योंकि निर्माण पूरा होने से पहले ही, निर्माणाधीन पुल लगातार ढह रहे हैं।’’ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सड़क निर्माण और ग्रामीण निर्माण विभाग को राज्य के सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण करने और तत्काल मरम्मत की आवश्यकता वाले पुलों की पहचान करने का निर्देश दिया है। 

ये भी पढ़ें- राजस्थान में BJP को लगा झटका, किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा