हल्द्वानी: जमरानी बांध बना रहे पर कार्यालय की भूमि का ही स्वामित्व नहीं

हल्द्वानी: जमरानी बांध बना रहे पर कार्यालय की भूमि का ही स्वामित्व नहीं

नरेन्द्र देव सिंह, हल्द्वानी, अमृत विचार। जमरानी बांध बनाने वाले उत्तराखंड सिंचाई विभाग के पास जमरानी बांध के लिए बनाए गए कार्यालय और रिहाइशी भवन वाली जमीन पर भू-स्वामित्व ही नहीं है। सन 1976 में बना दिए गए कार्यालय और रिहाइशी इलाके के भू-स्वामित्व का मामला अभी तक अटका हुआ है। मामला अटकने की वजह सन 1980 में बना वन भूमि का एक्ट है। 

हल्द्वानी के पास अमृतपुर में जमरानी बांध बनाए जाने की योजना पर काम करना सन 1976 में ही शुरू हो गया था। बाद में यह काम आगे नहीं बढ़ पाया। साल 2014 के बाद इस काम में गति आई। जमरानी बांध बनाने के लिए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने दमुवाढूंगा में पनचक्की के पास एक जमरानी बांध कॉलोनी बनाई थी।

कुल 7.5 हेक्टेयर जमीन को वन विभाग से लिया गया था। यहां जमरानी बांध परियोजना के लिए कार्यालय बनाए गए थे और साथ ही कर्मचारियों और अधिकारियों के रहने के लिए सरकारी भवन भी बनाए गए थे। इसके बाद वन भूमि को सिंचाई विभाग ने हस्तांतरण के लिए कोई कार्यवाही नहीं की। बताया जाता है कि उस समय वन भूमि के नियम इतने कड़े नहीं थे अगर उस समय तुरंत ही 7.5 हेक्टेयर जमीन के भू-स्वामित्व के लिए दावा किया गया होता तो जमीन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग को मिल जाती। इस बीच साल 1980 में वन भूमि एक्ट लागू कर दिया गया। जिस वजह से वन भूमि को हस्तांतरण किए जाने के मामलों पर कड़े नियम लगा दिए गए। 

उसके बाद इस भूमि को सिंचाई विभाग ने लेने की कोशिश की लेकिन काम नहीं बना। बाद में जमरानी बांध परियोजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। साल 2000 में उत्तराखंड बना और परियोजना उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से उत्तराखंड सिंचाई विभाग के पास आ गई। साल 2014 के बाद परियोजना में फिर से तेजी आई लेकिन अभी तक इस 7.5 हेक्टेयर भूमि को वन विभाग ने अपने पास ही रखा है जबकि जमरानी बांध के लिए आवश्यक वन भूमि को वन विभाग ने परियोजना के लिए दे दिया है। अब विडंबना यह है कि जमरानी बांध तो सिंचाई विभाग की अपनी जमीन पर बनेगा लेकिन जो कार्यालय उसे संचालित करेगा वह अपनी जमीन में न होकर एक तरह से कब्जे की जमीन पर रहेगा।

हो गए अवैध निर्माण अब बन रहे दिक्कत
दमुवाढूंगा के जिस हिस्से में वन भूमि पर जमरानी कॉलोनी बनाई गई है, उस भूमि के आसपास पूरी तरह से लोगों ने कब्जा कर दिया है। ऐसे में वन विभाग के लिए अब जमरानी कॉलोनी की भूमि का स्वामित्व सिंचाई विभाग को दिया जाना टेढ़ी खीर होगा क्योंकि अन्य पक्ष भी स्वामित्व की मांग कर सकते हैं।

कोर्ट जाते हैं लेकिन कहते हैं जमीन के कागज दिखाओ
सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जमरानी कॉलोनी के आसपास हो चुके अतिक्रमण को हटाने के लिए एक-दो बार कोर्ट भी जा चुके हैं लेकिन जब हमारे पास स्वयं 7.5 हेक्टेयर जमीन का स्वामित्व नहीं है तो हमारा दावे की सुनवाई ही नहीं होती है।

जमरानी बांध कॉलोनी काफी पुरानी बसी हुई है। हालांकि इस जमीन का स्वामित्व सिंचाई विभाग के पास नहीं है। इसके लिए पैरवी की जा रही है।
-ललित कुमार बिष्ट, उप महाप्रबंधक, जमरानी बांध परियोजना, हल्द्वानी

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