शाहजहांपुर: मतगणना के दौरान भाजपाइयों की धड़कनें होने लगी थीं तेज...जब फंसने लगा चुनाव, क्या रही वजह?

शाहजहांपुर, अमृत विचार: लोकसभा सीट पर भाजपा को मिली कम अंतर से जीत के प्रमुख कारणों में एक कारण स्थानीय जनप्रतिनिधियों का रवैया भी माना जा रहा। कम अंतर से जीत की समीक्षा करें तो पता चलता है कि शुरुआत में भाजपा की जीत एकतरफा लग रही थी, लेकिन बीच में चुनाव फंसने लगे। हालत यह हो गई कि कई राजनीतिक विशेषज्ञ शाहजहांपुर सीट को मतगणना से पहले सपा के खाते में गिनने लगे थे। इस सबके बाद भी भाजपा अपनी सीट निकालने में कामयाब रही, लेकिन जीत का अंतर 55521 ही रहा।
भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि शाहजहांपुर लोकसभा सीट पर शुरुआती दौर में तो भाजपा प्रत्याशी का किसी से मुकाबला नहीं दिख रहा था। भाजपा की जीत एक तरफा लग रही थी, इसका एक कारण सांसद, विधायक, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका, नगर पंचायत, ब्लाक प्रमुख जैसे सभी महत्वपूर्ण पदों पर भाजपाइयों का काबिज होना था।
यहां तक कि राज्यसभा सांसद व विधान परिषद सदस्य भी भाजपा के ही हैं। प्रदेश सरकार के तीन-तीन मंत्री इसी लोकसभा क्षेत्र के थे, जिनमें सबसे बड़ा नाम वित्त मंत्री व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना का है। इस सब के बाद भी जैसे-जैसे चुनाव की सरगर्मी बढ़ीं चुनाव फंसने लगा। तमाम कारणों से चुनाव खराब हुआ। इसके पीछे एक वजह ब्राह्मणों के वोटों का रुझान अंत तक भाजपा के साथ रहना भी है। भाजपा ने शाहजहांपुर के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को पीलीभीत लोकसभा से प्रत्याशी बनाया। साथ ही लोकसभा प्रभारी पंडित रामगोपाल मिश्र को बनाया।
दबी जुबान हार की बात कहने लगे थे लोग
चुनाव के दौरान भाजपा के भी तमाम लोग दबी जुबान से अपनी हार स्वीकारने लगे थे। इसके बाद भी जीत हुई। इसमें कहीं न कहीं लोकसभा प्रभारी की सक्रियता और कार्यशैली रही। वह चुनाव में जिला संगठन, महानगर संगठन के लोगों को एक साथ लेकर चलते रहे। प्रत्याशी के साथ समन्वय, संघ के लोगों के साथ अच्छा तालमेल भी काम आया। कई बार लोक सभा प्रभारी ने मंत्री की प्रतिष्ठा को धूमिल न करने की चेतावनी देकर भी निष्क्रिय कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया।
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