Bareilly News: तकनीकी अड़चन के फेर में अटकी हादसों के प्लेटफार्म की मरम्मत

Bareilly News: तकनीकी अड़चन के फेर में अटकी हादसों के प्लेटफार्म की मरम्मत

बरेली, अमृत विचार। कई लोगों की जान ले चुका बरेली जंक्शन का प्लेटफार्म नंबर दो पर मरम्मत का काम तकनीकी अड़चन के फेर में अटक गया है। रेल अधिकारी पिछले डेढ़ साल में यह तय नहीं कर पाए हैं कि प्लेटफार्म को ऊंचा करना है या फिर रेलवे ट्रैक को नीचा किया जाना है। 

हालांकि जबसे डीआरएम राजकुमार सिंह के संज्ञान में पूरा मामला आया है तबसे वह इसको गंभीरता से ले रहे हैं। पिछले 10 दिन में वह दो बार प्लेटफार्म नंबर दो का निरीक्षण कर चुके हैं। रेल अधिकारियों की माने तो कई तरह की तकनीकी अड़चने प्लेटफार्म की मरम्मत में आड़े आ रही हैं। फिलहाल अधिकारी बीच का हल निकालने में जुटे हुए हैं।

दरअसल बरेली जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दो पर पांच साल पहले ब्लास्ट ट्रैक (पत्थर वाला ट्रैक) डालने का काम किया गया था। इससे पहले यहां वॉशेबल एप्रोन (सीमेंटेड ट्रैक) हुआ करता था। जिस वक्त वॉशेबल एप्रोन से ब्लास्ट ट्रैक में इसे बदला जा रहा था तो 14 दिन का ब्लॉक लेकर का ब्लास्ट ट्रैक डालना शुरू किया गया। वॉशेबल एप्रोन को तोड़ने का काम किया गया लेकिन अधिक समय लगता देख थोड़ा ही ट्रैक खोदा गया और सीमेंटेड ट्रैक पर ही ब्लास्ट ट्रैक डाल दिया गया। 

नतीजा यह हुआ कि ट्रैक की ऊंचाई बढ़ने से हाईलेवल प्लेटफार्म मीडियम लेवल ही रह गया। प्लेटफार्म नीचा होने से एक के बाद एक कई हादसे लगातार हुए तो मामला मुख्यालय तक पहुंचा। वहीं तत्कालीन डीआरएम मुरादाबाद अजय नंदन के निर्देश पर करीब डेढ़ साल पहले मंडल मुख्यालय से आई टीम ने नाप जोख की लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। 10 दिन पहले भी गंगा सतलुज एक्सप्रेस से उतरते समय एक दंपति गंभीर रूप से घायल हो गया तो दोबारा मंडलीय अधिकारियों मामले को गंभीरता से लेना शुरू किया।

ट्रैक नीचा करने में तकनीकी अड़चन
ट्रैक नीचा करने में एक अड़चन नहीं, बल्कि कई तकनीकी पहलू आड़े आ रहे हैं। प्लेटफार्म नंबर दो यानी लाइन नंबर तीन के बराबर में लाइन नंबर दो मौजूद है। अगर ट्रैक को नीचा किया जाता है तो लाइन नंबर दो ऊंची हो जाएगी। जिससे बारिश का पानी लाइन नंबर तीन पर भरेगा। फिलहाल लाइन नंबर दो की तरफ ढलान के जरिए पानी की निकासी हो जाती है। वहीं जब वॉशेबल एप्रोन था तब चैंबर के जरिए पानी निकलता था। इसके अलावा ट्रैक नीचा करने के लिए करीब 40 दिन का ब्लॉक लेना पड़ेगा।

प्लेटफार्म ऊंचा करने में तकनीकी अड़चन
प्लेटफार्म को ऊंचा करने में अलग तकनीकी अड़चन है। दरअसल प्लेटफार्म नंबर दो और तीन बराबर में ही मौजूद हैं। अगर प्लेटफार्म नंबर दो को ऊंचा किया जाता है तो जाहिर है इसका प्रभाव प्लेटफार्म नंबर तीन पर भी पड़ेगा। फिलहाल दोनों प्लेटफार्म की सतह पूरी तरह लेवल में हैं। लेकिन अगर दो नंबर प्लेटफार्म को ऊंचा करेंगे तो तीन और दो प्लेटफार्म के बीच का लेवल गड़बड़ा जाएगा।

प्लेटफार्म ऊंचा होगा या ट्रैक नीचा इसका निर्णय इंजीनियरिंग व मंडलीय अधिकारियों द्वारा लिया जाना है। फिलहाल दोनों ही कार्यों को स्वीकृति मिली हुई है।-भानु प्रताप सिंह, स्टेशन अधीक्षक

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