भीमताल: सूख रही भीमताल झील, बढ़ने लगी चिंता

भीमताल, अमृत विचार। भीमताल झील लगातार सूख रही है। जलस्तर घटने से झील में गाद और मलबा सड़ रहा है। जिसके चलते झील के किनारे दुर्गंध आने लगी है। कुछ समय पूर्व तक पर्यटक झील के किनारे बैठकर ठंडी हवा का आनंद लेते थे, लेकिन अब दुर्गंध के कारण बच कर निकल रहे हैं।
वर्तमान में भीमताल झील का हाल वर्ष 2008 के जैसा हो गया है। करीब 16 वर्ष पूर्व झील का जलस्तर कम हो गया था। जिसके बाद झील में जलमग्न कैंचुला देवी का मंदिर दिखाई दिया था। 2008 में लोगों को जलमग्न मंदिर के साथ ही झील के दो मुख्य स्रोतों के भी दर्शन हुए थे।
उस समय श्रद्धालुओं के अनुसार जल स्रोतों से लगातार पानी धरती से निकल रहा था, जिसकी रफ्तार काफी कम थी। कैंचुला देवी का मंदिर झील में जल मग्न है। इसके दर्शन कई समय बाद होते हैं। श्रद्धालुओं को मंदिर की जानकारी देने के लिए उक्त स्थान पर एक बड़ा झंडा लगाया गया है। झील के सूखने की रफ्तार जारी रही तो एक माह से भी कम समय में 16 साल बाद श्रद्धालुओं को कैंचुला देवी के जलमग्न मंदिर के दर्शन हो सकेंगे।
डेल्टा की सफाई कराने का उचित समय
सामाजिक कार्यकर्ता पूरन बृजवासी का कहना है कि भीमताल झील की गहराई लगातार गाद के एकत्र होने से घट रही है। वर्तमान में काफी कम लगात में गाद को साफ किया जा सकता है। यदि मलबा सिंचाई विभाग निकाल दे तो जनता को काफी राहत मिलेगी।
पारिस्थितिकी तंत्र में असर की संभावना
झील के लगातार सूखने के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में भी असर दिखने की संभावना है। मछली विशेषज्ञों की माने तो भीमताल झील में प्राकृतिक रूप से महाशीर मछली अन्य झीलों की अपेक्षा ज्यादा प्रजनन करती है। ऐसे में झील के सूखने से उनके उत्पादन में भी असर दिखने की संभावना है।