छात्रों के लिए हेल्प डेस्क बनाने, नियमित संवाद करने का निर्णय

छात्रों के लिए हेल्प डेस्क बनाने, नियमित संवाद करने का निर्णय

कोटा। राजस्थान की कोचिंग सिटी कहे जाने वाले कोटा में कोचिंग छात्रों की मदद के लिए जिला प्रशासन ने कोचिंग संस्थानों में हेल्प डेस्क बनाने, छात्रों से उनकी समस्याओं को जानने के लिए निरंतर संवाद करने का सुझाव दिया है। जिला कलक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने कोचिंग संस्थानों में निरंतर निरीक्षण, पर्यवेक्षण एवं विद्यार्थियों से संवाद में सामने आ रही समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए यह निर्णय किया है। कोचिंग संस्थानों को विद्यार्थियों के बकाया सिलेबस के लिए हेल्प डेस्क स्थापित करने तथा हॉस्टल में भी पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी दी गई है।

इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। जिला प्रशासन की ओर से शनिवार को जारी आदेशों में कहा गया है कि निरन्तर रूप से किये जा रहे छात्र कलक्टर संवाद में मुख्य रूप से यह सामने आया है कि जब छात्र बीमार पड जाते है या किसी कारणवश घर जाते है या अन्य कोई कारण से क्लास अटेंड नहीं कर पाते है तो उनका सिलेबस को लेकर बैकलॉग होता है, उसे लेकर वे अत्यधिक तनाव में आ जाते है इसलिए संस्थानों को निर्देशित किया जाता है कि सभी संस्थान अपने स्तर पर अपने यहां बैकलॉग क्लीयरेंस के लिए हेल्प डेस्क की स्थापना करेंगे एवं उसके बारे में बच्चों को पोर्टल व मैंटर या अन्य माध्यम से अवगत करायेगें ताकि बच्चे तनाव मुक्त रह सकें। 

उपरोक्त आदेश की पालना अविलम्ब सुनिश्चित करेगें तथा पालना रिपोर्ट से अवगत करावें। कोचिंग संस्थानों को उनके क्षेत्र के हॉस्टलों में भी पर्यवेक्षण एवं छात्रों की समस्याओं के समाधान के दृष्टिगत फैकल्टी अथवा स्टाफ को नोडल के रूप में नियुक्त करने के निर्देश दिए है। निर्देशों में कहा गया है कि सभी कोचिंग संस्थानों द्वारा लगभग 150 से 200 बच्चों पर मेंटर की व्यवस्था की गई है जो नियमित रूप से बच्चों की शैक्षणिक व अन्य समस्याओं का समाधान कर रहे हैं।

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