कोविशील्ड वैक्सीन : चिकित्सकों ने कहा- व्यर्थ की चिंता न करें, कम ही होते हैं वैक्सीन रिएक्शन के मामले
कोरोना वैक्सीन: उस समय वार्ड ब्वॉय व एक महिला की हुई थी मौत
मुरादाबाद, अमृत विचार। कोरोना महामारी की खतरनाक दूसरी लहर के दौरान दुनियाभर में अरबों लोगों को संक्रमण के खतरे से बचाने वाली कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव से जुड़ा खुलासा सुर्खियों में आया है। इसने मुरादाबाद में कोरोना टीकाकरण के शुरुआती दिनों में वैक्सीन लगने के बाद हुई दो मौतों के सनसनीखेज मंजर की याद फिर से ताजा हो गई है।
कोरोना से बचाव को टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। इसी दिन टीका लगवाने वाले स्वास्थ्य विभाग के वार्ड ब्वॉय की 36 घंटे बाद मौत हुई थी। परिजनों ने उसकी मौत कोरोना वैक्सीन के रिएक्शन से होने का आरोप लगाकर हंगामा किया था। इसके कुछ ही दिन बाद कोरोना का टीका लगवाने वाली एक महिला की मौत से दहशत फैल गई थी। दोनों ही मामलों में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मौत का कारण वैक्सीन का रिएक्शन होने से इंकार किया था, लेकिन अंदरखाने दोनों केसों में पीड़ितों की हालत अचानक बिगड़ने को वैक्सीन के रिएक्शन से जोड़कर भी देखा गया था। जबकि वार्ड ब्वॉय की मौत हार्ट अटैक से होने के साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट से उसके खून में थक्के बनने की बात भी सामने आई थी।
वहीं महानगर के ह्वदयरोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग मेहरोत्रा ने बताया कि कोविड वैक्सीन के रिएक्शन से जिस थ्रांबोसिस थ्रांबोसइटोपेनिया सिंड्रोम होने की बात सामने आई है, उसकी चपेट में लाखों में किसी एक के आने का अंदेशा होता है। जिसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हकीकत में लगभग ऐसा ही हुआ है। जबकि बहुत बड़ी संख्या में लोग यह वैक्सीन लगने की वजह से ही महामारी की दूसरी लहर के दौरान मौत के मुंह में जाने से बच गए थे।
उधर, चिकित्सकों का कहना है कि दुर्लभ मामलों में कोरोना की वैक्सीन के दुष्प्रभाव थ्रांबोसिस थ्रांबो साइटोपेनिया सिंड्रोम के रूप में सामने आने का अंदेशा था। मीजल्स वैक्सीन भी दुर्लभ मामलों में साइड इफेक्ट रखती हैं, लेकिन, बहुत बड़ा जनसमूह वैक्सीन से सुरक्षित होता है। थ्रांबोसिस थ्रांबो साइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) होने पर शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स घट जाती हैं।
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