मुरादाबाद : तंग गलियों में मुश्किल है आग पर काबू पाना, असालतपुरा की घटना याद कर खड़े हो जाते हैं रोंगटे

बचाव जरूरी : 25 अगस्त 2022 को असालतपुरा में लगी थी आग, मां-बेटी व तीन बच्चे जले थे जिंदा

मुरादाबाद : तंग गलियों में मुश्किल है आग पर काबू पाना, असालतपुरा की घटना याद कर खड़े हो जाते हैं रोंगटे

मुरादाबाद, अमृत विचार। आजकल तेज धूप और गर्म हवाएं चल रही हैं। इसलिए हर किसी को आग से सतर्क रहने की जरूरत है। चूंकि, आगजनी की घटना यदि आबादी के अंदर तंग गलियों वाले मकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान में होती है तो उस पर काबू पाना बड़ा ही कठिन हो जाता है। ऐसे हाल में अग्निशमन दल के लिए जनहानि या आर्थिक क्षति रोकना बड़ी चुनौती वाला होता है।

अग्निशमन सेवा दल के अधिकारी भी कहते हैं कि व्यक्ति को अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान या घर बनाने से पहले आगजनी से बचाव के इंतजामों के बारे में जरूर सोच-समझ लेना चाहिए। आगजनी की घटना होने पर लोगों को सुरक्षित निकालना और कीमती वस्तुओं को जलने से बचाना आसान नहीं होता है। लीडिंग फायरमैन महिपाल सिंह बताते हैं कि नौ से 12 मंजिला वाले भवनों में आग बुझाने के लिए बढ़िया सुविधा नहीं है। ऐसे भवनों में जीना से जाकर आग बुझाने का विकल्प रहता है। 40 फिट तक की ऊंचाई वाले भवनों में बाहर से सीढ़ी लगाकर आग बुझा सकते हैं। इससे अधिक ऊंचाई वाली बहुमंजिला इमारतों में आग बुझाने के लिए केवल जीना ही एक सहारा होता है। इसीलिए बहुमंजिला इमारतों के निर्माण में जीने की चौड़ाई को बढ़ाने पर जोर दिया जाता है।

आबादी बढ़ने के साथ अतिक्रमण ने भी संकीर्ण कर दी गलियां
आबादी बढ़ने के साथ महानगर की गलियों के संकीर्ण होने का एक कारण अतिक्रमण भी है। सड़क चौड़ी नहीं होने से घटनास्थल तक दमकल वाहनों का पहुंचना कठिन हो जाता है। जानमाल की क्षति की संभावना प्रबल हो जाती है। ऐसे में जिस तरह गर्मी बढ़ रही है। यदि आगजनी की घटना हो जाए तो उस पर काबू पाना आसान नहीं होगा। दमकल की राह में महानगर की तंग गलियां आड़े आ जाती हैं। ऐसे में किसी गली में खड़ी बहुमंजिला इमारत में आगजनी की घटना हो जाए तो उस पर बिना जानमाल की क्षति काबू पाना अत्यंत मुश्किल हो जाएगा। एक तो अग्निशमन विभाग स्टाॅफ और संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। लेकिन, इस बात को अधिकारी स्वीकार नहीं करते हैं। मुख्य अग्निशमन अधिकारी कृष्णकांत ओझा बताते हैं कि मुख्यालय से पत्राचार कर और अधिक संख्या में आधुनिक संसाधनों की मांग की गई है।

इन बस्तियों में हैं तंग गलियां
फायरमैन बताते हैं कि महानगर में तंग गलियों वाले मुहल्ले में जैसे जीआईसी कॉलेज के पास असालतपुरा, गलशहीद, दस सराय, बंगला गांव, पुरानी बस्तियां हैं। जहां आग लगने की घटना होने पर बड़े दमकल वाहन नहीं पहुंच पाते हैं।

असालतपुरा की घटना याद कर आज भी खड़े हो जाते हैं रोंगटे
25 अगस्त 2022 को असालतपुरा में आगजनी की घटना में मौत ने तांडव मचाया था। उससे महानगर में रहने वाले लोग सिहर उठे थे। वह घटना जो आज भी फायरमैन हेड कांस्टेबल महिपाल सिंह के दिमाग में ताजा है। गलशहीद क्षेत्र के असालतपुरा में इरशाद कुरैशी के दामाद की दो बेटियों की शादी थी। शादी में शामिल होने के लिए शमा परवीन अपने तीन बच्चों के साथ आई थीं। लेकिन, घर में आग लगने से सबकुछ जलकर राख ही नहीं हो गया था बल्कि तीन बच्चों समेत सात लोगों की झुलसकर मौत हो गई थी। इन मृतकों में मां-बेटी और बेटी के तीन बच्चे आग में झुलसकर मौत के मुंह में समा गए थे। इनमें कमर आरा (65) और उनकी बेटी शमा परवीन (35) और शमा के तीन बच्चे नाफिया (7), इबाद (3), उमेमा (12) थे। यह मकान चार मंजिला था। प्रचंड आग ने घर की दूसरी मंजिल को भी चपेट में ले लिया था। दूसरी मंजिल पर परिवार रह रहा था, जो आग में फंसा था। रेस्क्यू कर 7 लोगों को निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पर डॉक्टरों ने दो बच्चों सहित कुल 5 लोगों को मृत घोषित कर दिया था। घर के नीचे पुराने टायर के स्क्रैप का गोदाम था।